बांग्लादेश में मानवाधिकार हनन की जांच के लिए आएगा यूरोपीय संसद का प्रतिनिधिमंडल

ढाका। स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को बताया कि यूरोपीय संसद सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल देश में मानवाधिकारों की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए 16-18 सितंबर तक बांग्लादेश का दौरा करेगा।
इस यात्रा के दौरान, यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रतिनिधियों और सिविल सोसाइटी के साथ यूरोपीय संघ-बांग्लादेश संबंधों के मानवाधिकार पहलू पर चर्चा करेगा। यूरोपीय संघ के सदस्य रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों का भी दौरा करेंगे। यूरोपीय संघ के सदस्य गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, श्रमिक प्रतिनिधियों और जमीनी स्तर पर कार्यरत बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। शेख हसीना की विदाई और मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता पर काबिज होने के बाद से ऐसी कई खबरें और तस्वीरें आईं जो जताती हैं कि बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
खासकर हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती हुई है। इस सप्ताह की शुरुआत में, जिनेवा में चल रहे मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र के दौरान, इंटरनेशनल फोरम फॉर सेक्युलर बांग्लादेश के कार्यकारी अध्यक्ष रहमान खलीलुर मामून ने बांग्लादेश की स्थिति पर प्रकाश डाला था। उन्होंने बताया था कि यहां हिंदू, ईसाई, बौद्ध और यहीं के मूल निवासी सांप्रदायिक हिंसा से पीड़ित हैं। उन्होंने वर्तमान सत्ता द्वारा अपराधियों के प्रति सहानुभूति का भी जिक्र किया था और बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता, अल्पसंख्यक अधिकारों और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल मदद की गुहार लगाई थी। 'अराजकता का एक वर्ष: अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन' शीर्षक वाली एक अन्य हालिया रिपोर्ट ने अनिर्वाचित यूनुस सरकार की सरपरस्ती में बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों, राजनीतिक उत्पीड़न और राष्ट्रीय अस्थिरता की ओर ध्यान आकर्षित कराया था। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, "मॉब लिंचिंग की घटनाओं में करीब 637 लोग मारे गए हैं।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों की हिरासत में 47 व्यक्तियों की न्यायेतर हत्याएं की गई हैं। अवामी लीग से जुड़े 21 राजनीतिक बंदियों की जेल में ही मौत हो गई है।" यूनुस शासन के दौरान अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों को उजागर करते हुए, रिपोर्ट में साक्ष्यों के आधार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की 2,442 घटनाओं की पुष्टि की गई। इसमें बताया गया है कि 2024 में क्रिसमस के दिन अल्पसंख्यक समुदाय के 27 लोगों की हत्या की गई, 20 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और 17 चर्चों में आग लगा दी गई।