राष्ट्रीय मिर्गी जागरूकता माह: योग से मिर्गी पर नियंत्रण - जानें कौन से आसन हैं सबसे प्रभावी
 
                 
              
                हर साल नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में मिर्गी के प्रति समझ और जागरूकता बढ़ाना है। मानसिक शांति और नियमित जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से निपटा जा सकता है। इस दिशा में योग भी एक कारगर उपाय है, क्योंकि यह न केवल शरीर का लचीलापन बढ़ाता है बल्कि दिमाग और नर्वस सिस्टम को भी शांत करता है मिर्गी को अंग्रेजी में एपिलेप्सी कहा जाता है। यह दिमाग से जुड़ा एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसके दौरे अचानक पड़ने की वजह से मिर्गी, मरीज और उनके परिवार दोनों के लिए ही काफी तनावपूर्ण होती है।
सिर्फ दवा लेने से ही मिर्गी पूरी तरह नियंत्रित नहीं होती। स्ट्रेस कम करना और नियमित जीवनशैली अपनाना भी इस बीमारी से निपटने में उतना ही जरूरी है। उत्तानासन: मिर्गी के मरीजों के लिए उत्तानासन बेहद फायदेमंद आसनों में से एक है। इस आसन को करने से शरीर की मसल्स, खासकर कंधे, कमर और पैरों के निचले हिस्से की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग होती है। स्ट्रेचिंग से न सिर्फ शरीर में लचीलापन आता है बल्कि मस्तिष्क भी आराम महसूस करता है। तनाव और चिंता कम होने के कारण मिर्गी के दौरे आने की संभावना घटती है। जो लोग इसे अपनी क्षमता के अनुसार नियमित करते हैं, उन्हें दिनभर के तनाव और थकान में भी आराम मिलता है। हलासन: मिर्गी के मरीजों के लिए हलासन बेहद उपयोगी आसन है।
इस आसन के अभ्यास से नसों और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है, जिससे शरीर और दिमाग दोनों ही रिलैक्स महसूस करते हैं। हलासन का नियमित अभ्यास नर्वस सिस्टम को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह पेट की चर्बी कम करने, कमर और गर्दन के दर्द से राहत देने में भी कारगर है। मानसिक रूप से शांत रहने से मिर्गी के दौरे नियंत्रित रह सकते हैं और यह मरीज के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। शवासन: यह दिमाग और पूरे शरीर को पूरी तरह से आराम देने वाला आसन है। मस्तिष्क और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को शांत करने में यह अत्यंत प्रभावी है। नियमित रूप से शवासन का अभ्यास करने से न सिर्फ तनाव और चिंता दूर होती है, बल्कि ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और नींद की समस्याएं भी कम होती हैं।
मिर्गी के मरीजों के लिए यह आसन विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि दौरे का एक बड़ा कारण तनाव और मानसिक बेचैनी होती है। बालासन: यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए आसान और प्रभावी आसनों में से एक है। इस आसन का अभ्यास दिमाग को शांत करता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम की कार्य क्षमता में सुधार करता है। मिर्गी के दौरे अक्सर मानसिक तनाव के कारण आते हैं और बालासन इस तनाव को दूर करने में मदद करता है। इसे करने से मरीज को आराम मिलता है, दिमाग शांत होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार बेहतर तरीके से होता है। मत्स्यासन: मत्स्यासन भी मिर्गी के मरीजों के लिए अत्यंत फायदेमंद आसन है। इस आसन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता में सुधार होता है और स्ट्रेस कम होता है। मस्तिष्क और शरीर के बीच संतुलन बनाने में मत्स्यासन मदद करता है। अपर बॉडी की मसल्स की अच्छी स्ट्रेचिंग होती है और टेंशन रिलीज होती है, जिससे मस्तिष्क अधिक शांत और खुश रहता है। योगाभ्यास के दौरान यह आसन मानसिक शांति प्रदान करता है, जो मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक है।

 
             
         
                 
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                        