भाकियू ने कमिश्नर ऑफिस का किया घेराव, डंडा लेकर पहुंची महिलाएं व किसान, कमिश्नर की गाड़ी भी नहीं निकलने दी
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में अपनी 40 साल पुरानी मांगों को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। भारतीय किसान यूनियन (अवध गुट) के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने शनिवार को कमिश्नर कार्यालय का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया। किसानों ने मुख्य गेट पर ताला लगा दिया और मंडलायुक्त (कमिश्नर) की आधिकारिक कार को रोककर उन्हें घंटों ऑफिस में ही रोके रखा। प्रदर्शन में महिला किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और लाठी पटककर अपने संघर्ष को दर्शाया।
40 साल पुरानी है संघर्ष की कहानी
संगठन के महामंत्री राम वर्मा ने मीडिया को बताया कि यह संघर्ष 1980 और 1985 के दशक से चला आ रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने उस दौरान कानपुर रोड स्थित लगभग 23 गाँवों के किसानों की जमीनें अधिग्रहित की थीं। अधिग्रहण के समय किसानों को उनके जीवन यापन के लिए उचित मुआवजा और व्यापार करने के लिए चबूतरा (दुकान का स्थान) आवंटन का आश्वासन दिया गया था।

राम वर्मा के अनुसार, अधिग्रहण के 40 साल बीत जाने के बाद भी लगभग 2500 किसानों को न तो वाजिब मुआवजा मिला है और न ही चबूतरा आवंटन हुआ है। उन्होंने सरकार और LDA पर किसानों को लगातार गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया।
भेदभावपूर्ण मुआवजा दर से किसानों में रोष
किसानों का सबसे बड़ा विरोध मुआवजे की दर में हुए भेदभाव को लेकर है। किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा ₹1.70 पैसे से लेकर ₹3.50 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से दिया गया। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि उसी क्षेत्र की एक जज की जमीन का मुआवजा ₹14 प्रति वर्ग फुट की दर से दिया गया है।
प्रदर्शनकारी किसानों ने मांग की कि जब जमीन एक ही जगह अधिग्रहित की गई है, तो मुआवजे के रेट में इतना बड़ा अंतर क्यों? इसलिए, उनकी मुख्य मांग है कि सभी 2500 किसानों को ₹14 प्रति वर्ग फुट की दर से एक समान और उचित मुआवजा दिया जाए।
जूठा धोने को मजबूर हुए किसान
प्रदर्शन में शामिल महिला किसानों ने अपनी दयनीय स्थिति बयान करते हुए कहा कि उनके पास खेत-खलिहान होने के बावजूद, उन्हें आज घरों में झाड़ू-पोंछा और जूठा धोने को मजबूर होना पड़ रहा है।
महिला किसान शांति ने बताया कि सात साल से वे मोमबत्ती जलाकर रह रही हैं, न बिजली मिलती है और न राशन। उन्होंने कहा, "पति की मृत्यु हो चुकी है। मुआवजा और चबूतरा न मिलने से जीवन यापन मुश्किल हो गया है, हम लोग भीख माँगने को मजबूर हैं।" वहीं, राम कुमारी ने स्पष्ट किया कि जब तक फैसला नहीं होता, वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगी।
मंडलायुक्त की गाड़ी रोकी गई
विरोध प्रदर्शन के दौरान, जब मंडलायुक्त की गाड़ी कार्यालय के अंदर से बाहर आ रही थी, तो किसानों ने उसे मुख्य गेट पर रोक लिया। भारतीय किसान यूनियन का झंडा और लाठी लेकर खड़े किसानों ने लगभग 15 मिनट तक गाड़ी को आगे नहीं बढ़ने दिया। काफी समझाने-बुझाने और अधिकारियों की मशक्कत के बाद, कमिश्नर की गाड़ी को दूसरे रास्ते से बाहर निकाला जा सका।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी किसानों को समझाने में जुटे रहे, लेकिन किसानों ने साफ कर दिया कि 40 साल के संघर्ष और गुमराह होने के बाद अब वे बिना ठोस निर्णय के पीछे नहीं हटेंगे।
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