मेरठ सेंट्रल मार्केट विवाद: अखिलेश बोले- 'BJP ने दिया रिटर्न गिफ्ट'; सपा विधायक अतुल प्रधान ने दी सांत्वना
मेरठ में बिलखते व्यापारियों से मिले विधायक; भाजपा नेताओं पर उपेक्षा का आरोप
मेरठ/लखनऊ। मेरठ के सेंट्रल मार्केट में आवास विकास परिषद द्वारा दुकानों के ध्वस्तीकरण के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला।
अखिलेश यादव का निशाना: "BJP का रिटर्न गिफ्ट"
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि जिन व्यापारियों की दुकानें तोड़ी गई हैं, वे भाजपाई (BJP समर्थक) ही थे। उन्होंने टिप्पणी की:
"वो बीजेपी की दुकानें जा रही हैं न। मुझे कोई साथी बता रहा था कि सपा सरकार में भी फैसला आया था। उस समय हमने दुकानें नहीं टूटने दी थीं। उन लोगों ने बीजेपी को वोट दिया है तो रिटर्न गिफ्ट मिल रहा है।"
मेरठ में धरने पर सपा विधायक अतुल प्रधान
अखिलेश यादव के बयान के बीच, मेरठ में पीड़ित व्यापारियों के धरने पर सपा विधायक अतुल प्रधान पहुँचे। उन्होंने व्यापारियों के दर्द को समझते हुए भाजपा नेताओं पर उपेक्षा का आरोप लगाया:
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दर्द पर पटाखे: विधायक अतुल प्रधान ने भाजपा नेताओं द्वारा बाजार खुलने पर पटाखे फोड़ने और लड्डू बांटने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "एक तरफ तो लोग दर्द से बिलख रहे हैं, दूसरी तरफ आप पटाखे फोड़ रहे हो। ये कौन सी सिमपैथी है।"
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BJP सांसद पर अनुभव की कमी: उन्होंने बीजेपी सांसद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सांसद जी भी आएंगे लेकिन उन्हें ज्यादा राजनीतिक एक्सपीरियंस नहीं है।
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मदद का आश्वासन: अतुल प्रधान ने कहा कि वह 'दिशा' की मीटिंग में इस मसले को प्रमुखता से उठाएंगे और पूछेंगे कि "आप ये फैसला लेने वाले कौन हैं।"
पीड़ितों का छलका दर्द: 'हमें सिर्फ शांत रहने को कहा गया'
धरने पर बैठी महिलाएं और व्यापारी सपा विधायक के सामने रो पड़े और अपना दर्द बयाँ किया:
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रोजी-रोटी छिन गई: पीड़ित दुकानदारों ने कहा कि उनकी रोजी-रोटी चली गई है, वे बेरोजगार हो चुके हैं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी सुध नहीं ली। नेताओं ने केवल बाजार खुलवाने के लड्डू खाए और चले गए।
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अवैध दुकान का आरोप: संगीता जैन ने बताया कि उनके पति की दुकान यहाँ 30 साल से थी। उन्होंने सवाल उठाया, "आवास विकास वालों ने खुद यहाँ दुकानें बनवाईं, हमें दी और अब कहते हैं कि वो दुकानें अवैध हैं। तो वो दुकानें अब अवैध कैसे हो गईं?" उन्होंने हर्जाने की मांग की।
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प्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप: 661/6 कॉम्प्लेक्स के ध्वस्त होने से 22 व्यापारियों का सब कुछ छिन गया। किशोर वाधवा ने बताया कि जनप्रतिनिधि उनके पास नहीं आए, जबकि वे सभी स्वयं भाजपाई थे।
कानूनी हल और मांगें
विधायक अतुल प्रधान ने कानूनी समाधान की बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को कोई सांसद, विधायक या कलेक्टर लिखकर मान्य नहीं कर सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इस पर नियम बनाना होगा और एक कमेटी या आयोग (जिसमें वरिष्ठ अफसर या हाईकोर्ट का जज शामिल हो) बनाकर हलफनामा कोर्ट में लगाना होगा।
पीड़ित व्यापारियों की मुख्य मांग है कि:
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661/6 के व्यापारियों को राहत दी जाए।
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उन्हें अन्य स्थल पर दुकानें आवंटित की जाएँ।
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जनप्रतिनिधि उनके बीच आकर उन्हें आदेशों की कॉपी दें, तभी धरना खत्म होगा।
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आवासीय इलाके में दुकानें बनवाने वाले आवास विकास के अफसरों पर एक्शन हो।
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