देवबंद (सहारनपुर)। देवबंदी विचारधारा मानने वाले अफगानिस्तान के युवा विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा से पाकिस्तान में जबरदस्त बेचैनी है। आज शनिवार दोपहर देवबंदी विचारधारा के शिक्षण केंद्र दारुल उलूम के अतिथि गृह में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध ऐतिहासिक और हजारों साल से हैं। उन्हें भारत में उम्मीद से ज्यादा तवज्जों मिली है। उन्हें भरोसा है कि भारत से उनके मुल्क के रिश्तों में मजबूती और गर्माहट आएगी। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सत्ता संभालने के बाद वहां के किसी भी मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है। वह 9 अक्टूबर को भारत आए थे और 16 अक्टूबर को उनकी वतन वापसी है।
कल शुक्रवार को नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई वार्ता को उत्साह जनक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के साथ कारोबार बढ़ेगा। उन्हें यह भी विश्वास है कि भारत देर- सबेर उनकी सरकार को मान्यता दे देगा। दारूल उलूम में उनका जोशो-खरोश के साथ स्वागत किया गया। संस्था के प्रमुख मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने संस्था का इतिहास और उसकी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और यहां की शिक्षा प्रणाली की जानकारी दी। मोहतमिम नोमानी ने कहा कि यदि अफगानी छात्रों को दोनों सरकारें दारूल उलूम में शिक्षा देने के दरवाजे खोलती है तो वह उसका स्वागत करेंगे।
जमीयत उलमाए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दारूल उलूम के सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी ने उन्हें इस संस्था से पुराने रिश्तों की तफसील से जानकारी दी। अमीर खान मुत्ताकी ने मौलाना अरशद मदनी के प्रति बहुत सम्मान दिखाया। ध्यान रहे मौलाना अरशद मदनी के मरहूम पिता मौलाना हुसैन अहमद मदनी के खास शिष्यों में रहे अफगानिस्तान के सम्मानित उलेमा मरहूम अब्दुल हक हक्कानी के वहां स्थापित किए गए मदरसे में ही अमीर खान मुत्ताकी ने तालीम हांसिल की है। दारूल उलूम इलाके में जब अमीर खान मुत्ताकी पहुंचे तो इस संस्था के सारे प्रबंध ध्वस्त हो गए।
डीएम सहारनपुर मनीष बंसल और एसएसपी आशीष तिवारी ने व्यवस्था संभाली। सरकारी अमला बड़ी मुश्किल से विदेशी मेहमान और उनके साथियों को दारूल उलूम के मेहमान खाने में किसी तरह लेकर पहुंचे। यहां तलबाओं के मदरसे में सभी जगह बड़ी संख्या में जम-जाने के कारण विदेश मंत्री के सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द हो गए। अमीर खान के संस्था के उपकुलपति अब्दुल खालिक मद्रासी, दारूल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी आदि ने उनसे मुलाकात कर दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होने की उम्मीद जताई।
उन्होंने इस संवाददाता को दिए साक्षात्कार में यह भी भरोसा जताया था कि तालिबान सरकार भारत के लिए अच्छी साबित होगी। यह बात सही साबित हुई है। आज भारत- अफगानिस्तान एक-दूसरे के हमदर्द है। भारतीय कूटनीति की यह बड़ी कामयाबी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अफगान नेता ने पहलगाम हिंसा की निंदा की और भारत के ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी शनिवार को प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान देवबंद दारुल उलूम पहुंचे, लेकिन ज्यादा भीड़ की वजह से यहां उनका संबोधन नहीं हो सका। उनकी अगुवाई में 15 प्रमुख उलेमा मौजूद रहे। सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे, बावजूद इसके इतनी भीड़ हो गई कि संबोधन का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। शाम पांच बजे तक उन्हें देवबंद दारुल उलूम में रुकना था, लेकिन भीड़ को देखते हुए अव्यवस्था न हो जाए इसलिए वह ढाई बजे ही देवबंद से रवाना हो गए।
गर्म जोशी के साथ देवबंद दारुल उलूम में उनका स्वागत हुआ और स्वागत का पूरा कार्यक्रम देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की देखरेख में तैयार किया गया। अपने स्वागत से खुश होकर मुत्ताकी ने कहा कि वह अपने स्वागत को हमेशा याद रखेंगे।
इस दौरान मीडियाकर्मियों से हुई एक संक्षिप्त बातचीत में मुत्ताकी ने कहा कि देवबंद दारुल उलूम हमारा मादर-ए-इल्मी मदरसा है।
अमीर खान मुत्ताकी का देवबंद दारुल उलूम में संबोधन तो नहीं हो सका, लेकिन उन्हें हदीस का सबक पढ़ाने की इजाजत मिल गई। संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी से उन्होंने हदीस का सबक लिया और उसे आगे पढ़ाने की इजाजत भी ली। इसके बाद मोहतमिम ने उन्हें हदीस-ए-सनद दी। इस सनद को लेने के बाद अब उनके नाम के आगे कासमी जुड़ गया है। अब वह अपने नाम के आगे कासमी लिख सकेंगे।
तलबा में दिखी खुशीदेवबंद दारुल उलूम पहुंचने पर छात्रों (तलबा) ने उनका जोरदार स्वागत किया। वह सुबह आठ बजे दिल्ली से चलकर दोपहर करीब 12 बजे दारुल उलूम देवबंद पहुंचे। उनके स्वागत में इतनी भीड़ इकट्ठा हो गई कि तलबा को हटाने और रस्ता बनाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। खुद एसएसपी को कमान संभालनी पड़ी गई। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर देवबंद में पुलिस और खुफिया एजेंसियां अलर्ट मोड पर रही।
विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के चले जाने के बाद मौलाना अरशद मदनी ने मीडियाकर्मियों के साथ बात करते हुए कहा कि हमारा अफगानिस्तान के साथ एक शैक्षिक और शैक्षणिक संबंध है। वह अपने मदर इल्मी से मिलने आए थे। उनका संबोधन भी होना था लेकिन उन्हें जल्द ही कहीं जाना था, इसलिए कार्यक्रम में बदलाव किया गया।