फसल की पैदावार और मुनाफा बढ़ाने का आसान तरीका, मृदा परीक्षण कर बनाएं खेत को सोने की तरह

अगर आप चाहते हैं कि आपकी खेती में पैदावार बढ़े और फसल से मिलने वाला मुनाफा ज्यादा हो तो आज मैं आपको एक बेहद आसान और असरदार उपाय के बारे में बताने जा रहा हूं। यह उपाय है मृदा परीक्षण। अक्सर किसान सोचते हैं कि मिट्टी तो अपनी जगह पर है, इसमें क्या जांच करनी है। लेकिन वास्तविकता यह है कि मिट्टी की गुणवत्ता जानना और उसमें पोषक तत्वों की सही जानकारी रखना खेती में सफलता का सबसे बड़ा राज है।
किसान बताते हैं कि मृदा परीक्षण से फसल की पैदावार 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहता है और लंबे समय तक उत्पादन स्थिर रहता है। साथ ही, अनावश्यक रासायनिक खाद पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। मृदा परीक्षण का सही समय फसल की कटाई के बाद होता है जब खेत खाली हो और उसमें कोई फसल न हो। बरसात के मौसम में यह परीक्षण करना सही नहीं होता क्योंकि पानी से पोषक तत्वों की वास्तविक स्थिति पता नहीं चल पाती।
मृदा परीक्षण हर तीन साल में एक बार कराना जरूरी होता है। नमूना खेत के अलग-अलग स्थानों से 15 से 20 सेंटीमीटर गहराई तक लिया जाता है। इससे किसान को मिट्टी की वास्तविक स्थिति पता चलती रहती है और फसल के लिए सही उर्वरक और खाद का चयन किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी किसान की गेहूं की फसल सामान्यतया 20 क्विंटल प्रति एकड़ देती है, तो मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित खाद डालने से उत्पादन 25 क्विंटल तक पहुंच सकता है। इसी तरह धान, गन्ना, दालें और सब्जियों में भी 20 से 30 प्रतिशत तक पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
मृदा परीक्षण के फायदे सिर्फ पैदावार बढ़ाने तक सीमित नहीं हैं। अनावश्यक खाद डालने से होने वाला अतिरिक्त खर्च भी बच जाता है। आमतौर पर 2000 से 3000 रुपये प्रति एकड़ की बचत होती है और उत्पादन बढ़ने से कुल मिलाकर प्रति एकड़ 5000 से 8000 रुपये तक अतिरिक्त आमदनी संभव होती है। यही कारण है कि मृदा परीक्षण को खेती का सबसे फायदेमंद और सुरक्षित उपाय माना जाता है।
दोस्तों, मृदा परीक्षण सिर्फ मिट्टी की जांच नहीं है बल्कि यह आपके खेत की सफलता की दिशा तय करता है। सही समय पर और सही तरीके से मृदा परीक्षण कराएं और देखें कि आपकी फसल की पैदावार और मुनाफा दोनों कैसे बढ़ते हैं। यह छोटे प्रयास से बड़ी कमाई और लंबे समय तक खेत की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने का तरीका है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी तरह का कृषि निर्णय लेने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।