गेहूं की सिंचाई के बाद खेत में पत्तियां पीली पड़ रही हैं तो सावधान हो जाइए, जानिए कारण और उपाय वरना पैदावार पर पड़ेगा सीधा असर
अगर आपने गेहूं की बुवाई को एक महीना पूरा कर लिया है और पहली सिंचाई के समय खेत में पत्तियों का रंग हल्का पीला दिख रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन इसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं होगा। इस समय फसल नाजुक अवस्था में होती है और थोड़ी सी लापरवाही आगे चलकर पैदावार को नुकसान पहुंचा सकती है।
पहली सिंचाई के बाद पीलापन दिखने का कारण
ठंड और नमी से बढ़ता रोगों का खतरा
इस मौसम में ठंड के साथ नमी और कोहरा भी रहता है। ऐसे हालात में फसल में रोग तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। पीला रतुआ पत्ती झुलसा करपा और जड़ सड़न जैसे रोग इसी अवस्था में ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। शुरुआत में लक्षण हल्के दिखते हैं लेकिन समय पर ध्यान न दिया जाए तो पूरा खेत प्रभावित हो सकता है।
संतुलित पोषण क्यों है जरूरी
पहली सिंचाई के बाद फसल को संतुलित पोषण की सख्त जरूरत होती है। अगर केवल पानी दिया जाए और खाद की मात्रा सही न हो तो पौधा कमजोर रह जाता है। मिट्टी की सेहत अच्छी नहीं होने पर भी पोषक तत्व जड़ों तक नहीं पहुंच पाते। इसलिए यह जरूरी है कि खेत की स्थिति देखकर ही आगे की खाद प्रबंधन योजना बनाई जाए।
नियमित निगरानी से बचाया जा सकता है नुकसान
इस समय खेत का नियमित निरीक्षण बहुत जरूरी हो जाता है। पत्तियों के रंग बनावट और बढ़वार पर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी हिस्से में पीलापन ज्यादा दिखे तो तुरंत कारण समझने की कोशिश करें। शुरुआती स्तर पर समस्या पहचान लेने से फसल को बड़ा नुकसान होने से बचाया जा सकता है और पौधे फिर से स्वस्थ हो सकते हैं।
सही प्रबंधन से मिलेगी अच्छी पैदावार
अगर समय पर पोषण प्रबंधन किया जाए जलभराव से बचाव हो और जरूरत पड़ने पर उचित उपचार अपनाया जाए तो गेहूं की फसल सुरक्षित रह सकती है। सही देखभाल से पौधे दोबारा हरे भरे हो जाते हैं और बालियां भी मजबूत बनती हैं। इससे उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है और किसान को संतोषजनक पैदावार मिलती है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की कृषि दवा या उर्वरक का उपयोग करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। परिस्थितियों के अनुसार परिणाम अलग हो सकते हैं।
