गेहूं की फसल पर बड़ा खतरा दिसंबर की गर्मी और ठंडी रातों से बढ़ रहा है गंभीर रोगों का डर समय रहते अपनाएं ये जरूरी बचाव उपाय
रबी सीजन आते ही खेतों में सबसे ज्यादा गेहूं की खेती दिखाई देती है क्योंकि इसे किसान सुरक्षित और भरोसेमंद फसल मानते हैं इस समय गेहूं की मुख्य फसल खेतों में लहलहा रही है लेकिन दिसंबर महीने में मौसम के लगातार बदलते मिजाज ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है रात में तेज ठंड और दिन में बढ़ती गर्मी गेहूं की फसल के लिए परेशानी का कारण बन रही है इसी वजह से फसल में कई गंभीर रोग लगने की आशंका बढ़ गई है
बदलते मौसम से गेहूं में क्यों बढ़ रहा है रोग का खतरा
सूत्रकृमि से फैलने वाले रोग से बढ़ सकती है परेशानी
गेहूं की फसल में सूत्रकृमि के कारण गंभीर रोग लगने का खतरा रहता है इस स्थिति में पौधों की पत्तियां मुड़कर सिकुड़ जाती हैं कई पौधे सामान्य बढ़वार नहीं कर पाते और बौने रह जाते हैं ऐसे पौधों में जरूरत से ज्यादा शाखाएं निकल आती हैं जिससे फसल कमजोर हो जाती है
रोग के लक्षण पहचानना है सबसे जरूरी
सूत्रकृमि से प्रभावित गेहूं की बालियां छोटी और खोखली रह जाती हैं इनमें दानों की जगह काले रंग की गांठें बन जाती हैं जो दिखने में काली इलायची जैसी लगती हैं इस कारण उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर बुरा असर पड़ता है यदि समय रहते पहचान न हो तो नुकसान काफी बढ़ सकता है
रोग दिखते ही तुरंत करें सही उपाय
जब गेहूं की पत्तियों पर इस तरह के लक्षण दिखाई देने लगें तो प्रभावित पौधों को खेत से निकालकर नष्ट कर देना चाहिए इससे रोग आगे नहीं फैलता कुछ मामलों में दवा का सही मात्रा में छिड़काव भी किया जा सकता है लेकिन जरूरत से ज्यादा दवा का उपयोग फसल को कमजोर कर सकता है इसलिए सावधानी जरूरी है
ठंड बढ़ते ही पीला रतुआ बनता है बड़ा खतरा
तापमान में गिरावट के साथ गेहूं की फसल में पीला रतुआ नामक रोग का खतरा बढ़ जाता है इसे धारीदार रतुआ भी कहा जाता है यह रोग हवा के माध्यम से खेत में तेजी से फैलता है शुरुआत में यह खेत के एक छोटे हिस्से में दिखता है लेकिन धीरे धीरे पूरी फसल को चपेट में ले लेता है
कैसे फैलता है पीला रतुआ रोग
इस रोग का असर सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देता है शुरू में हल्के पीले रंग की धारियां बनती हैं जैसे जैसे तापमान बदलता है यह तेजी से फैलने लगता है दिसंबर के अंत से लेकर मार्च के मध्य तक इस रोग का खतरा बना रहता है
समय पर बचाव से फसल रह सकती है सुरक्षित
पीला रतुआ से बचाव के लिए समय रहते उचित पोषक तत्व और अनुशंसित दवाओं का प्रयोग करना चाहिए सही समय पर किए गए उपाय से फसल को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है यदि किसी खेत में यह रोग दिखाई दे तो अगले सीजन में उसी बीज का दोबारा उपयोग नहीं करना चाहिए
पर्ण झुलसा रोग भी कर सकता है भारी नुकसान
गेहूं की फसल में पर्ण झुलसा रोग का असर पत्तियों पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है शुरुआत में पत्तियों पर भूरे रंग के छोटे धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में पूरे पत्ते को झुलसा देते हैं इससे पत्तियों का हरा रंग खत्म हो जाता है और पौधा कमजोर हो जाता है
पर्ण झुलसा से कैसे करें बचाव
जब इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो संक्रमित पौधों को अलग करना जरूरी होता है खेत में गिरी हुई संक्रमित पत्तियों को हटाना भी बेहद जरूरी है आवश्यकता पड़ने पर निश्चित अंतराल पर दवा का छिड़काव किया जा सकता है ताकि रोग दोबारा न फैले
सावधानी और निगरानी ही है सबसे बड़ा समाधान
गेहूं की फसल को रोगों से बचाने के लिए सबसे जरूरी है नियमित निगरानी खेत का बार बार निरीक्षण करने से रोग की पहचान शुरुआती अवस्था में हो जाती है और नुकसान से बचा जा सकता है सही समय पर सही कदम उठाकर किसान अपनी मेहनत और फसल दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं
Disclaimer::"यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी दवा या उपाय को अपनाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें
