कम जमीन में बड़ा मुनाफा देने वाली औषधीय फसल रोज़ैल बदल सकती है आपकी खेती की तस्वीर
अगर आप कम जमीन में ज्यादा कमाई का सपना देख रहे हैं और ऐसी फसल चाहते हैं जिसमें जोखिम कम और मुनाफा ज्यादा हो तो रोज़ैल की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है यह एक औषधीय फसल है जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हर्बल प्रोडक्ट और दवाइयां बनाने में किया जाता है इसकी सूखी पत्तियां और लाल रंग के सुंदर फूल दोनों ही बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं
रोज़ैल क्यों बन रही है किसानों की पसंद
एक बीघा में रोज़ैल की खेती का खर्च
रोज़ैल की खेती के लिए एक बीघा में करीब सात किलो बीज की जरूरत होती है यह फसल लगभग पांच महीने में पूरी तरह तैयार हो जाती है खाद की बात करें तो प्रति बीघा लगभग पच्चीस किलो यूरिया पर्याप्त माना जाता है खेत में समय समय पर निराई गुड़ाई करना जरूरी होता है ताकि खरपतवार का असर न पड़े
दवाइयों का झंझट नहीं जैविक खेती का मौका
इस फसल में रोग लगने की संभावना बहुत कम होती है इसलिए दवाइयों पर खर्च लगभग नहीं के बराबर आता है यही कारण है कि इसे जैविक तरीके से उगाना भी आसान होता है कम लागत और कम जोखिम इसे और भी फायदेमंद बना देता है
रोज़ैल की खेती से कितना उत्पादन मिलता है
एक बीघा में रोज़ैल की खेती करने पर करीब तीन क्विंटल सूखे फूल और लगभग चार क्विंटल बीज प्राप्त हो सकते हैं सही देखभाल और मौसम अनुकूल होने पर उत्पादन इससे भी बेहतर हो सकता है
फूल और बीज की कीमत जानकर आप हैरान रह जाएंगे
मौजूदा समय में रोज़ैल के सूखे फूलों की कीमत लगभग पच्चीस हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रही है वहीं इसके बीज करीब आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकते हैं अच्छी गुणवत्ता और सही समय पर बिक्री करने पर सूखे फूलों की कीमत बीस हजार से सत्तर हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती है
बीज की कीमत भी बाजार में मांग के अनुसार काफी ऊपर जाती है और यह तीस हजार से एक लाख रुपये प्रति क्विंटल तक मिल सकती है बाजार की स्थिति आवक और गुणवत्ता के अनुसार कमाई कम या ज्यादा हो सकती है
कम लागत ज्यादा कमाई की फसल
अगर सही तरीके से खेती की जाए और बाजार की जानकारी रखी जाए तो रोज़ैल की खेती कम जमीन में भी शानदार मुनाफा दे सकती है यह फसल उन किसानों के लिए खास है जो पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं
