इंडिगो पर निर्भरता ने उड़ाए घरेलू आसमान के तार - परिचालन संकट ने भारतीय विमानन बाजार की गहरी कमजोरियाँ उजागर कीं
Indian Aviation: भारतीय विमानन बाजार इन दिनों गहरे संकट से गुजर रहा है। इंडिगो की विशाल बाजार हिस्सेदारी और नए एफडीटीएल नियमों के चलते अचानक पैदा हुए परिचालन व्यवधान ने पूरे सेक्टर को हिला दिया। नतीजा-सैकड़ों उड़ानें रद्द, किराये आसमान छूते हुए, और यात्री हताश। विश्लेषकों का कहना है कि यह केवल एक एयरलाइन का संकट नहीं, बल्कि भारतीय विमानन संरचना की पुरानी कमियों का विस्फोट है।
उड़ानों में भारी अव्यवस्था
यूरोप की तरह ‘पैसेंजर कंपेनसेशन कोड’ की मांग तेज
संकट ने उपभोक्ता अधिकारों पर भी बड़ा सवाल उठाया है। यात्रियों का कहना है कि रद्दीकरण का पूरा बोझ उन पर डाल दिया जाता है, जबकि परिचालन जोखिम एयरलाइंस की जिम्मेदारी है। कई उपभोक्ता समूह यूरोपीय यूनियन की तरह कड़े मुआवजा नियम लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें रद्द या देरी से हुई उड़ानों पर यात्रियों को अनिवार्य राहत दी जाती है।
स्टाफिंग मॉडल और प्रशिक्षण सिस्टम की खामियाँ उजागर
आईएटीए की रिपोर्ट के अनुसार हालिया व्यवधान का मूल कारण स्टाफिंग, प्रशिक्षण और रोस्टरिंग से जुड़ी संरचनात्मक खामियाँ हैं। भारत में लंबे समय से फ्लीट विस्तार धीमा रहा है, पायलट प्रशिक्षण सीमित है और एयरलाइंस परिचालन दबाव को मैनेज करने में संघर्ष कर रही हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह संकट अचानक नहीं आया-यह सालों से जमा हो रही कमजोरियों का परिणाम है, जो अब खुलकर सामने आ गया है।
