आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा बोले- भारत ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच भी कायम रखी मजबूती!


महंगाई नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती

वित्तीय अनुशासन पर भरोसा
गवर्नर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अपनाई गई राजकोषीय अनुशासन की नीति भारत की वित्तीय सेहत को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण रही है। राजकोषीय घाटा अब प्रबंधनीय स्थिति में है और 4.4% जीडीपी तक सीमित रहने का अनुमान है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का सार्वजनिक ऋण स्तर अब केवल जर्मनी से ही थोड़ा अधिक है, जो इसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करता है।
रुपये की स्थिरता पर दिया जोर
मल्होत्रा ने मुद्रा विनिमय दर प्रबंधन पर कहा कि भारत का लक्ष्य किसी विशिष्ट स्तर को स्थिर रखना नहीं, बल्कि रुपया की व्यवस्थित चाल सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 में डॉलर अपने उच्च स्तर से करीब 10% गिर चुका है। इसके विपरीत, भारतीय रुपया उतार-चढ़ाव के बावजूद अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय मुद्रा की मजबूती उच्च टैरिफ और सीमित पूंजी बहिर्वाह के बावजूद बनी हुई है।
भारतीय बाजार विश्व में दिखा रहा मजबूती
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2024 से अब तक भारतीय रुपया और शेयर बाजार दोनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने इस प्रवृत्ति को आर्थिक स्थिरता का संकेत बताया। मल्होत्रा के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा बाजार गहरा और परिपक्व है तथा आरबीआई का उद्देश्य मामूली लाभ से अधिक व्यापक स्थिरता पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान आर्थिक संतुलन और निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने पर है, और यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।”