बाजार में नकदी की कमी दूर करने के लिए RBI की बड़ी चाल: ₹1 लाख करोड़ OMO और $5 अरब करेंसी स्वैप का ऐलान
RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर में बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने और वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाए रखने के लिए दो महत्वपूर्ण कदमों का ऐलान किया है। केंद्रीय बैंक ₹1 लाख करोड़ के ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) के तहत सरकारी बॉन्ड खरीदेगा और 16 दिसंबर को $5 अरब डॉलर का रुपये-डॉलर करेंसी स्वैप करेगा। ये दोनों कदम बाजार में तरलता सुनिश्चित करने और विदेशी मुद्रा बाजार को स्थिर रखने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।
दो किश्तों में होगी ₹1 लाख करोड़ की OMO खरीदारी
- पहली नीलामी - 11 दिसंबर को ₹50,000 करोड़
दूसरी नीलामी - 18 दिसंबर को ₹50,000 करोड़
केंद्रीय बैंक का कहना है कि इस खरीदारी से घरेलू बैंकिंग सिस्टम में कैश फ्लो बढ़ेगा, जिससे बैंक और NBFC की कर्ज देने की क्षमता में सुधार होगा और वित्तीय बाजार में नकदी की कमी नहीं होने दी जाएगी।
विदेशी मुद्रा बाजार में संतुलन के लिए डॉलर-रुपया स्वैप
नकदी की स्थिति को नियंत्रित रखने के साथ-साथ मुद्रा बाजार में स्थिरता लाने के लिए RBI अरब (USD/INR) का खरीद-बिक्री स्वैप ऑपरेशन करेगा। यह स्वैप तीन वर्ष की अवधि के लिए होगा।
यह एक विशेष मुद्रा प्रबंधन उपकरण है जहां दो पक्ष अपनी मुद्राओं का समान मूल्य पर विनिमय करते हैं और तय समय बाद यह विनिमय उलटा कर दिया जाता है। यह टूल विदेशी मुद्रा प्रबंधन, जोखिम नियंत्रण और लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है।
बाजार में व्यवस्थित तरलता नियंत्रण सुनिश्चित करना लक्ष्य
केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह निर्णय वर्तमान वित्तीय परिस्थितियों की व्यापक समीक्षा के बाद लिया गया है। आरबीआई के अनुसार, स्वैप ऑपरेशन और ओएमओ खरीदारी के संयुक्त प्रभाव से बाजार में कैश की उपलब्धता बनी रहेगी, विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता बढ़ेगी और बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
आसान भाषा में- OMO क्या होता है?
ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) वह प्रक्रिया है जिसमें आरबीआई खुले बाजार से सरकारी बॉन्ड (G-Sec) खरीदता या बेचता है। जब RBI बॉन्ड खरीदता है, तो वह बाजार में पैसा डालता है, जिससे लिक्विडिटी बढ़ती है।
इस बार ₹1 लाख करोड़ की OMO खरीद सीधे बैंकों की लोन क्षमता बढ़ाएगी, उधार लेने की लागत कम करेगी और बॉन्ड बाजार में स्थिरता लाएगी।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव- लोन सस्ता और नकदी की उपलब्धता बेहतर
आरबीआई के इस कदम का प्रत्यक्ष असर यह होगा कि-
- बैंकों और NBFCs की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी
- बाजार में नकदी की कमी नहीं होगी
- बॉन्ड बाजार में दबाव कम होगा
- उधार लेने की लागत कम होने से आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी
कुल मिलाकर दिसंबर का महीना लिक्विडिटी सपोर्ट देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है।
- 2025 में अब तक RBI की OMO घोषणाओं की पूरी सूची
- 2025 में अब तक की OMO घोषणाएं इस प्रकार हैं:
- 27 जनवरी: 1,00,000 करोड़ (तीन चरण — 30 जनवरी, 13 फरवरी, 20 फरवरी)
- 5 मार्च: 1,00,000 करोड़ (दो चरण — 12-18 मार्च)
- 18 मार्च: 50,000 करोड़ (25 मार्च)
- 1 अप्रैल: 80,000 करोड़ (3, 8, 22, 29 अप्रैल)
- 28 अप्रैल: 1,25,000 करोड़ (9, 15, 19 मई)
- 5 दिसंबर: 1,00,000 करोड़ (11 और 18 दिसंबर)
