इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को सशर्त राहत, 367 बीघा जमीन पर देना होगा नया मुआवजा
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) द्वारा अधिग्रहीत लगभग 367 बीघा जमीन के एक मामले में प्राधिकरण को सशर्त राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जीडीए को इस जमीन पर भू-स्वामियों को नए भूमि अधिग्रहण कानून (New Land Acquisition Act) के तहत मुआवजा देना होगा, अन्यथा पूरा अधिग्रहण रद्द माना जाएगा।
जीडीए के लिए 3 माह का समय
यह मामला लोनी तहसील के मोहिद्दीनपुर गांव का है, जहाँ जीडीए ने एक नियोजित विकास योजना के तहत आवासीय कॉलोनी के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की थी। अधिग्रहण में आपातकालीन प्रावधानों (Emergency Provisions) का उपयोग किया गया था, जिसके चलते याचियों को सुनवाई का मौका नहीं मिला था।
कोर्ट के मुख्य निर्देश:
-
अधिग्रहण का विकल्प: कोर्ट ने जीडीए को आदेश की तारीख से तीन माह के भीतर यह विकल्प चुनने का समय दिया है कि वह याचियों की भूमि को बनाए रखना चाहता है या नहीं।
-
नया मुआवजा: यदि जीडीए भूमि को बनाए रखने का फैसला करता है, तो उसे याचियों को नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत संशोधित मुआवजा देना होगा।
-
अधिग्रहण रद्द: यदि जीडीए भूमि को बनाए रखने का विकल्प नहीं चुनता है, तो उस भूमि का अधिग्रहण रद्द माना जाएगा और वह भूमि संबंधित भू-स्वामियों को सभी भारों से मुक्त होकर वापस मिल जाएगी।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आपातकाल प्रावधानों के तहत जांच समाप्त करना मनमाना और अवैध है।
आदेश केवल याचियों पर लागू
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश का लाभ केवल उन्हीं भू-स्वामियों को मिलेगा, जिन्होंने याचिका दाखिल की है और अब तक कोई मुआवजा प्राप्त नहीं किया है।
यह लाभ उन लोगों पर लागू नहीं होगा जिन्होंने पहले ही समझौते या पूर्व में दिए गए अवार्ड के तहत मुआवजा स्वीकार कर लिया था, या जिन्होंने धारा 4 की अधिसूचना के बाद अपनी भूमि हस्तांतरित कर दी थी।
संबंधित खबरें
लेखक के बारे में
रॉयल बुलेटिन उत्तर भारत का प्रमुख हिंदी दैनिक है, जो पाठकों तक स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय खबरें तेज़, सटीक और निष्पक्ष रूप में पहुँचाता है, हिंदी पत्रकारिता का एक भरोसेमंद मंच !
