नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय में मनाया गया ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025’, अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक पर हुई चर्चा

नोएडा। भारत को वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने की दिशा में छात्रों को प्रेरित करने के उद्देश्य से एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा शुक्रवार को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025’ का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. डब्ल्यू सेल्वामूर्ती, स्काइटेल अल्फा च्रक डायलॉग्स फाउंडेशन के संस्थापक विंग कमांडर सत्यम कुशवाहा, सीडीएस के सलाहकार एवीएम राजीव रंजन, इसरो के सेटेलाइट नेविगेशन निदेशक डॉ. मनीष सक्सेना, सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन के उपमहानिदेशक राजीव गंभीर, और एमिटी स्पेस इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. एमएस प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा, वर्तमान प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है और वैश्विक एजेंसियों को भी सहयोग प्रदान कर रहा है। सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है।
विंग कमांडर सत्यम कुशवाहा ने कहा कि चंद्रयान, आदित्य और स्पेस स्टेशन निर्माण जैसे मिशन भारत की सफलता की कहानी हैं। अब युद्ध केवल ज़मीन पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष और साइबर जगत तक फैला है, और युवाओं को इसके लिए तैयार रहना होगा।
एवीएम राजीव रंजन ने भारत की ऐतिहासिक अंतरिक्ष समझ का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह क्षेत्र युवाओं के लिए एक "लॉन्च पैड" है। उन्होंने छात्रों से तकनीक को मानवता की सेवा में लगाने की अपील की।
इसरो के डॉ. मनीष सक्सेना ने कहा कि आने वाले दस वर्षों में अंतरिक्ष मिशनों की दिशा स्पष्ट है, और एमिटी जैसे संस्थानों की भूमिका इसमें अहम होगी।
इस मौके पर छात्रों ने भी अपने रिसर्च प्रोजेक्ट्स की प्रस्तुति दी, जिससे कार्यक्रम में नवाचार और वैज्ञानिक सोच की झलक देखने को मिली। अन्य प्रमुख वक्ताओं में कमोडोर अमित रे, डॉ. अनिल कुमार और डॉ. शिवानी वर्मा शामिल रहे।