प्रदर्शनकारियों से सख्ती नहीं, संवेदनशीलता से निपटें: डीजीपी राजीव कृष्ण

लखनऊ। बाराबंकी में छात्रों पर लाठीचार्ज और गाजीपुर में दिव्यांग की पुलिस पिटाई से मौत की घटनाओं के बाद प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने अधीनस्थ अधिकारियों को संवेदनशीलता और संयम बरतने के सख्त निर्देश दिए हैं।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की गई बैठक में डीजीपी ने जनसुनवाई, साइबर अपराध और महिला सुरक्षा की समीक्षा की। जून से अगस्त 2025 तक जनशिकायतों के निस्तारण में 55 जिलों की स्थिति संतोषजनक रही, लेकिन 20 जिलों में शिकायतों में वृद्धि पर नाराजगी जताई गई।
इनमें देवरिया, संभल, कौशांबी, बदायूं, गाजियाबाद और वाराणसी प्रमुख रहे, जिनके अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। संबंधित एसपी और पुलिस आयुक्तों को चेतावनी दी गई है। ऐसे थानों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं, जहां शिकायतों के निस्तारण में लगातार लापरवाही हो रही है।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ मिल रही शिकायतों की समीक्षा में झांसी, बहराइच, लखनऊ, जौनपुर, कानपुर और आगरा सबसे आगे रहे। डीजीपी ने निर्देश दिया कि जिनके खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें हैं, उनकी सूची तैयार कर वरिष्ठ अधिकारी स्वयं जांच करें और दोषियों के विरुद्ध तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए।
पुलिस हिरासत में हो रही मौतों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा गया कि यह लापरवाही के कारण हो रही हैं, जिन्हें समय रहते रोका जा सकता है।
साइबर ठगी के मामलों में पीड़ितों द्वारा जानकारी में की गई त्रुटियों के कारण धनराशि फ्रीज़ न हो पाने पर भी चिंता जताई गई। साइबर हेल्प डेस्क को निर्देश दिए गए कि पीड़ित से तत्काल संपर्क कर त्रुटियों को दूर कराएं।
छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा जैसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए थाना स्तर पर इनका शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। वहीं, एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने आगामी त्योहारों को देखते हुए शांति समिति की बैठकें कराने और विवादों का समय रहते समाधान कराने का निर्देश दिया।