नोएडा। यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने मंगलवार को एक सूचना के आधार पर एक गैंग के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गैंग के लोग विभिन्न उद्यमियों, बिल्डरों और सीधे-साधे लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय, जीएसटी, जीडीए सीबीआई, इनकम टैक्स, उत्तर प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरण, आर्थिक अपराध शाखा आदि में शिकायत करके बिल्डरों और उद्यमियों को ब्लैकमेल करते थे। ये लोग शिकायत के आधार पर खबर छापकर उनसे संपर्क करते थे, और मोटी रकम वसूल लेते थे। एक बिल्डर से आरोपी 15 करोड़ रुपए की मांग कर रहे थे। इस मामले की शिकायत के बाद आज आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।
अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ (नोएडा यूनिट) राजकुमार मिश्र ने बताया कि सूचना मिली कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में उद्योग चलाने वालों के खिलाफ झूठी शिकायतें करके रंगदारी वसूलने वाला एक गिरोह सक्रिय है। उन्होंने बताया कि सूचना के आधार पर एसटीएफ ने जांच शुरू की। जांच के दौरान एसटीएफ ने मंगलवार दोपहर को सूरजपुर स्थित एसटीएफ कार्यालय से अंकुर गुप्ता पुत्र जय भगवान गुप्ता निवासी दरियागंज दिल्ली, हरनाम धवन पुत्र नरेंद्र धवन निवासी सराय रोहिल्ला दिल्ली तथा नरेंद्र धवन पुत्र घनश्याम लाल निवासी सराय रोहिल्ला दिल्ली को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इनके पास से घटना में प्रयुक्त 4 मोबाइल फोन, 66 हजार 720 रुपए नकद, एक अमेरिकी डॉलर, फर्जी आधार कार्ड,
17 डाक रसीद आदि बरामद हुआ है।
उन्होंने बताया कि आरोपियों से पूछताछ के दौरान पता चला है कि आरोपी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उद्यमियों और बिल्डरों के खिलाफ झूठी शिकायत करते हैं, तथा उस शिकायत के आधार पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खबर छपवाते हैं। खबर और शिकायत के आधार पर ये लोग उद्यमी और बिल्डरों को ब्लैकमेल करके उनसे मोटी रकम वसूल लेते हैं। जांच के दौरान आरोपियों ने एसटीएफ को बताया कि इन्होंने एक बिल्डर के खिलाफ शिकायत की तथा खबर छपाई और बिल्डर से संपर्क करके उससे 15 करोड रुपए की फिरौती मांग रहे थे।
जब बिल्डर ने देने में असमर्थता जाहिर की तो उन्होंने फिरौती की रकम 5 करोड़ कर दी। कुछ रकम बिल्डर से इन्होंने वसूल लिया था। उन्होंने बताया कि जांच में पता चला है कि अंकुर गुप्ता की उम्र 52 वर्ष है। यह 12वीं पास है। इसकी दरियागंज में पहले कपड़े की दुकान थी। दुकान पर लिए गए लोन को यह उतार नहीं कर पाया। इस लिए अभियुक्त अंकुर गुप्ता विभिन्न विभागों में शिकायत करने लगा। जिससे इसको यह समझ आ गया कि किसी भी व्यक्ति को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर शिकायत करने से वह बचाव में कुछ रकम दे देगा।
उन्होंने बताया कि अंकुर गुप्ता ने दिल्ली एनसीआर की उद्यमियों, बिल्डरों की झूठी शिकायत ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, विकास प्राधिकरण आदि में करनी शुरू कर दी। ऐसे में उद्यमी अपनी छवि को बचाने के लिए इसको कुछ ना कुछ धन दे देते थे।
उन्होंने बताया कि अपने अवैध कार्य को विस्तृत रूप देने के लिए अभियुक्त अंकुर गुप्ता ने अपने साथ दिल्ली के फ्रीलांसर एवं छोटे समाचार पत्रों के पत्रकारों को भी लालच देकर मिला लिया। दिल्ली से प्रकाशित होने वाले एक समाचार पत्र के संचालक नरेंद्र धवन उसके पुत्र हरनाम धवन को तथा कुछ अन्य पत्रकारों को इसने उगाही सिंडिकेट में शामिल किया। तथा इसके द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर झूठी खबरें प्रकाशित करवाकर लोगों को ब्लैकमेल करने लगे। इसकी वजह से कई बिल्डरों के प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं हुए।