1952 से 2025 तक बिहार चुनाव: कांग्रेस से लेकर नीतीश कुमार तक, वोटिंग के आंकड़ों में छिपे राजनीतिक रहस्य
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। चुनाव आयोग जल्द ही आधिकारिक मतदान प्रतिशत की घोषणा करेगा। बीते 17 चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक दिलचस्प पैटर्न सामने आता है। 1952 से लेकर 2020 तक कराए गए चुनावों में केवल तीन बार मतदान 60% से अधिक हुआ और इन मामलों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सरकार बनने में सफलता मिली। इस साल का चुनाव इसलिए भी रोचक है क्योंकि लंबे समय के बाद एक तीसरा दल, जनसुराज पार्टी, बिहार की 200 से अधिक सीटों पर सक्रिय है।
1952 से 1962: कांग्रेस की सत्ता और शुरुआती मतदान रुझान
1967-1972: कांग्रेस सत्ता से बाहर और राजनीतिक अस्थिरता का दौर
मार्च 1967 में पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। इस साल मतदान 51.51% हुआ। त्रिशंकु चुनाव का दौर आया और मात्र एक साल में चार मुख्यमंत्री शपथ ले चुके थे। महामाया प्रसाद सिन्हा 329 दिन, सतीश प्रसाद सिंह, बीपी मंडल, और भोला पासवान शास्त्री क्रमशः 99 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे। 1969 और 1972 के चुनाव में भी कांग्रेस सत्ता में रही, लेकिन इस दौरान राजनीतिक अस्थिरता जारी रही।
1977-1985: जनता पार्टी का उदय और कांग्रेस की वापसी
1977 में आपातकाल के बाद बिहार में 50.51% वोटिंग के साथ जनता पार्टी की सरकार बनी और कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने। 1980 के चुनाव में 57.28% मतदान हुआ और कांग्रेस ने फिर से सत्ता संभाली। जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री बने। 1985 में भी कांग्रेस 56.27% वोटिंग के बाद सरकार बनाने में सफल रही, हालांकि इस दौरान पार्टी में बिखराव दिखाई दिया और पांच वर्षों में चार मुख्यमंत्री रहे।
1990 के बाद: लालू यादव युग और उच्च मतदान का कनेक्शन
मार्च 1990 में जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पांच साल 18 दिन तक सत्ता संभाली। इस दौर में बिहार में लगातार तीन विधानसभा चुनावों में 60% से अधिक मतदान हुआ और जनता दल सरकार बनाने में सफल रहा। यह दौर बिहार की राजनीति में एक नई दिशा लेकर आया और उच्च मतदान का इतिहास बन गया।
2005 से अब तक: नीतीश कुमार की लंबी सत्ता और गठबंधन राजनीति
चारा घोटाले और 262 दिनों के राष्ट्रपति शासन के बाद, 2005 में नीतीश कुमार पूर्णकालिक मुख्यमंत्री बने। फरवरी 2005 में 46.50% मतदान के बाद किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, जिससे राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। नवंबर 2005 में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद बीते 20 सालों में नीतीश ही लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। केवल 2014-15 में नौ महीने के लिए जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
