मुजफ्फरनगर नगरपालिका में बड़ा भूचाल, NSA की शिकायत पर दो सभासदों के खिलाफ DM ने बैठाई जांच
एडीएम प्रशासन संजय सिंह और एसपी क्राइम इंदू सिद्धार्थ को सौंपी गई जिम्मेदारी; एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब।
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के भीतर नगर स्वास्थ्य अधिकारी (NSA) डॉ. अजय प्रताप शाही और दो सभासदों वार्ड 25 के राजीव शर्मा और वार्ड 49 के मनोज वर्मा के बीच का विवाद अब उच्च-स्तरीय जांच के दायरे में आ गया है। जिलाधिकारी (DM) उमेश मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों सभासदों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं। सभासदों के खिलाफ जांच बैठने पर अभी तक शांत नजर आ रही पालिका में नई खींचतान और हलचल बन गई है।
डॉ. अजय प्रताप शाही की शिकायत: 'मानसिक उत्पीड़न' का आरोप
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय प्रताप शाही ने 1 नवंबर को प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय (एडीएम प्रशासन) संजय सिंह को एक लिखित शिकायत भेजी थी।
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घटना का विवरण: डॉ. शाही का आरोप है कि 1 नवंबर को जब वह ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह के कार्यालय में मौजूद थे, तब दोनों सभासद वहाँ आए। वे एक छोटी सी बात (सफाई से संबंधित) को लेकर हंगामा करने लगे और ईओ से उन्हें पालिका से हटाने की मांग करने लगे।
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उत्पीड़न का दावा: डॉ. शाही ने आरोप लगाया है कि जब से उनकी तैनाती (24 जून 2025 को) नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर हुई है, तब से दोनों सभासद एक सुनियोजित साजिश के तहत उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं और करीब चार माह में कई बार उनके साथ अभद्रता भी की है।
डीएम उमेश मिश्रा ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और एडीएम प्रशासन संजय सिंह और एसपी क्राइम इंदू सिद्धार्थ की दो सदस्यीय जांच समिति का गठन करते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर पूरे प्रकरण की जांच कर आख्या (रिपोर्ट) देने के निर्देश दिए हैं।
सभासदों का पलटवार: डॉ. शाही पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप
डीएम द्वारा जांच बैठाए जाने के बाद पालिका में नई खींचतान शुरू हो गई है। सभासदों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वे जनता के हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने जांच समिति में अपना पक्ष रखने की बात कही है, लेकिन साथ ही डॉ. शाही के भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी है।
₹1 करोड़ के हरे भरे पेड़ कटवाने का विवाद
सभासदों ने 03 नवंबर को सीएमओ को एक विस्तृत पत्र लिखकर डॉ. शाही पर सबसे गंभीर आरोप लगाया है, जो कंपनी बाग में हुए अवैध कटान से जुड़ा है:
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मुख्य आरोप: अक्टूबर माह में कंपनी बाग के सौंदर्यीकरण का कार्य कर रही कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस के ठेकेदार ने, वाटिका प्रभारी डॉ. अजय शाही की कथित मिलीभगत से, लगभग एक करोड़ रुपये मूल्य के हरे-भरे पेड़ों को अवैध रूप से काटकर गायब करा दिया।
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सभासदों की मांग: उन्होंने सीएमओ से मांग की है कि वाटिका प्रभारी होने के बावजूद डॉ. शाही ने कटान पर कोई संज्ञान नहीं लिया, अतः उनकी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने, कार्यदायी संस्था को काली सूची में डालने और डॉ. शाही को पालिका से स्थानांतरित करते हुए उनके कार्यकाल की जांच कराने की मांग की है।
'पीएम हाउस रिश्वत प्रकरण' और आचरण पर सवाल
सभासदों ने डॉ. शाही के पूर्व के आचरण पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि डॉ. शाही पहले भी 'पीएम हाउस पर रिश्वत प्रकरण' में आरोपी बनाए गए हैं और पालिका में भी उनका कार्य संतोषजनक नहीं है।
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सभासदों का सवाल: "वह एक एमबीबीएस एमडी डिग्री धारक चिकित्सक हैं, ऐसा क्या है कि वो नगरपालिका में कूड़ा और गंदगी वाला काम नहीं छोड़ पा रहे हैं? इसकी भी जांच की मांग हम कर रहे हैं।"
डॉ. शाही की सफाई
अपने ऊपर लगे आरोपों के जवाब में डॉ. शाही ने कहा है कि पीएम हाउस प्रकरण में सीओ रूपाली राय ने जांच की थी और उन्हें दोष मुक्त कर दिया था।
यह मामला मुजफ्फरनगर नगरपालिका के भीतर गहरी आंतरिक खींचतान को उजागर करता है, जहाँ एक ओर नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने अपने उत्पीड़न का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर सभासदों ने अधिकारी पर भ्रष्टाचार, अनियमितता और एक करोड़ रुपये के हरे पेड़ों की अवैध कटान जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। अब सभी की निगाहें एडीएम प्रशासन और एसपी क्राइम की संयुक्त जांच समिति पर टिकी हैं, जिसकी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर आनी है।
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