आजम खान को बड़ी राहत: 6 साल पुराने 'RSS को बदनाम करने' के मामले में लखनऊ MP-MLA कोर्ट ने किया बरी
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। फरवरी 2019 में दर्ज हुए एक 6 साल पुराने मामले में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश रचने का गंभीर आरोप था।
क्या था 2014 का मामला?
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FIR का आधार: सामाजिक कार्यकर्ता अल्लामा जमीर नकवी की ओर से हजरतगंज थाने में फरवरी 2019 में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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आरोप: आरोप था कि आजम खान ने वर्ष 2014 में, जब प्रदेश में सपा की सरकार थी और वह मंत्री पद पर थे, तब अपने सरकारी लेटरपैड और सरकारी मुहर का दुरुपयोग किया था। इन्हीं लेटरपैड पर जारी छह पत्रों में RSS के साथ ही शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद और उनके निजी सचिव इमरान नकवी के खिलाफ अपमानजनक बातें लिखी गई थीं।
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साजिश का आरोप: शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि RSS को बदनाम करने की इस साजिश में शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) भी शामिल थे।
लखनऊ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय (MP-MLA कोर्ट) आलोक वर्मा ने ठोस सबूत नहीं होने के कारण आजम खान को इस मामले से बरी कर दिया।
कोर्ट से बाहर आजम खान के तेवर
फैसला आने पर आजम खान करीब एक घंटे कोर्ट में बैठे रहे। इसके बाद वह अपने बेटे अब्दुल्ला आजम, वकीलों और समर्थकों के साथ कोर्ट से बाहर आए। उनके चेहरे पर मुस्कान थी।
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न्याय पर भरोसा: मीडिया से बातचीत में आजम खान ने कहा, "बहुत ही ईमान वाला फैसला है। जज साहब का शुक्रिया है। न्यायालय से ही आस बची है।"
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अटैची वाला बयान: उन्होंने अपने पुराने अंदाज में तंज कसते हुए कहा, "आज मैं अटैची लेकर आया था, क्योंकि इससे पहले एक ऐसे ही मुकदमे में 7 साल की सजा हुई थी। तब मैं अटैची लेकर नहीं आया था।"
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मुकदमों की संख्या: मुकदमों की संख्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन पर सैकड़ों मुकदमे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ उन पर ही नहीं, बल्कि उनकी मरी हुई मां पर भी मुकदमे हैं, और उनके कई साथी अभी भी जेलों में बंद हैं, जिनमें रामपुर नगर पालिका के दो बार चेयरमैन रहे अजहर अली खान भी शामिल हैं।
अखिलेश यादव से 'गहरी मुलाकात'
आजम खान ने इस मुलाकात से पहले अखिलेश यादव से उनके घर पर मुलाकात की थी। यह जेल से बाहर आने के बाद दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात थी, जिसने उनके बीच नाराजगी की अटकलों को विराम दिया।
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रिश्ते की मजबूती: आजम खान ने कहा, "अखिलेश यादव से गहरी मुलाकात हुई। अखिलेश मेरी औलाद जैसे हैं। उस परिवार से आधी सदी का रिश्ता है। मेरी तकलीफें उस रिश्ते को तोड़ नहीं सकती हैं। इस संबंध की कीमत अदा कर रहा हूं, जो बची है।"
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सख्त संदेश: काला चश्मा लगाए आजम खान ने अपने पुराने तेवर में विरोधियों को सख्त संदेश दिया और मीडिया को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि उनकी बातें कोई फिल्मी डायलॉग नहीं हैं।
फैसले के मद्देनजर न्यायालय परिसर और उसके आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
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