चीन सीमा से गरजा थल सेनाध्यक्ष द्विवेदी: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी, तकनीकी युद्ध की तैयारी तेज़


सैनिकों को दी तकनीकी दक्षता की सीख

प्रोफेशनलिज़्म और तत्परता पर जोर
भड़कटिया के 12 कुमाऊं मैदान में सैनिकों और पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए सेनाध्यक्ष ने कहा कि प्रत्येक सैनिक को प्रोफेशनल बनने की दिशा में काम करना होगा। किसी भी अभियान में सफलता तभी संभव है जब हम फुर्ती और निपुणता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि हर जवान को अपने कार्य की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार लाना होगा, ताकि किसी भी परिस्थिति में सेना की त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके।
मानवीय सेवा के लिए सदैव तत्पर सेना
सेनाध्यक्ष द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना केवल युद्ध में ही नहीं, बल्कि आपदा और प्राकृतिक संकट के समय भी देश की रक्षा-पंक्ति बनी रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि क्षेत्र के सौ किलोमीटर के दायरे में कोई आपदा आती है, तो सैनिकों को मुख्यालय की अनुमति के बिना भी राहत और बचाव कार्य में जुट जाने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने बीते समय में थराली और आसपास के इलाकों में सेना द्वारा किए गए राहत कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि “भारतीय सैनिक आपदा में हमेशा मानवता की पहली दीवार बनते हैं।”
सोशल मीडिया पर संयम और एकता पर संदेश
थल सेनाध्यक्ष ने आधुनिक युग में सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर सैनिकों को सतर्क किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया जानकारी का शक्तिशाली हथियार है, लेकिन इसका अनुचित उपयोग नुकसानदायक भी हो सकता है। इसीलिए सैनिकों को समझदारी से इसका इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना की सबसे बड़ी ताकत उसकी एकता और अनुशासन है। उन्होंने पूर्व सैनिकों की भूमिका को “सेना की जड़ों की तरह” बताते हुए उनके प्रति बड़ा दिल दिखाने की अपील की।
सैन्य परिवारों की संख्या पर गौर
इस मौके पर सेनाध्यक्ष ने बताया कि सेना, पूर्व सैनिक, वीरांगनाएं और उनके आश्रित मिलाकर करीब सवा करोड़ परिवार हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह विशाल समूह एकजुट होकर देश निर्माण में अपना योगदान दे, तो भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना कोई कठिन काम नहीं होगा। उन्होंने सैनिकों से आग्रह किया कि वे समाज में अपने अनुशासन, परिश्रम और निष्ठा से प्रेरणा का स्रोत बनें।