प्रभु स्मरण से दिन की शुरुआत: समर्पण, सेवा और जीवन का सच्चा अर्थ
मनुष्य के जीवन का वास्तविक उद्देश्य केवल भौतिक सफलता नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा, प्रेम और सेवा-भावना है।
सुबह का समय दिन की दिशा तय करता है — यदि प्रभात ईश्वर स्मरण और शुभ संकल्पों से प्रारंभ हो, तो पूरा दिन मंगलमय बन जाता है। प्रभु से सदैव सद्बुद्धि, स्वास्थ्य और प्रेमपूर्ण परिवार की कामना करनी चाहिए, क्योंकि भौतिक वस्तुएँ सीमित हैं, परंतु प्रेम, शांति और सहयोग ही वास्तविक संपदा हैं।
यह भाव कि “थोड़ा देना प्रभो, परंतु प्रेम असीम देना” जीवन की सादगी और संतोष का प्रतीक है।
दाता बनकर जीना, किसी के आगे हाथ न फैलाना, सेवा और परोपकार में जीवन व्यतीत करना — यही सच्चा धर्म है।
अंततः, यह संदेश हमें यह भी याद दिलाता है कि जीवन का अंतिम लक्ष्य स्वावलंबन, सेवा और ईश्वर-स्मरण होना चाहिए — ताकि जीवन के अंत तक हम न केवल स्वस्थ और निर्भीक रहें, बल्कि अपने कर्मों से समाज और ईश्वर दोनों के प्रति उत्तरदायित्व निभा सकें।
यह केवल उपदेश नहीं, बल्कि जीवन जीने की सच्ची कला है।
