मुलायम सिंह यादव की तीसरी पुण्यतिथि: सैफई में उमड़ा 'यादव कुनबा',अखिलेश बोले- 'सरकार खत्म करने की साजिश कर रही है संविधान'


मंच पर अखिलेश यादव के बगल में सपा महासचिव राम गोपाल यादव और सांसद रामजी लाल सुमन बैठे दिखाई दिए। उनके बगल में शिवपाल सिंह यादव थे। वहीं, डिंपल यादव सांसद धर्मेंद्र यादव के पास बैठी थीं। अखिलेश देर शाम ही लखनऊ से सैफई पहुंच गए थे।
इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "हम सभी नेताजी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। संविधान की रक्षा के लिए उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं। समाजवादी संविधान को 'संजीवनी' कहते हैं और हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।"
अखिलेश ने आरोप लगाया कि 'सरकार संविधान को खत्म करने की साजिश कर रही है'। उन्होंने कहा कि "वे तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन हम उन सभी ताकतों को परास्त करेंगे, जो सामाजिक न्याय के इस तरीके को खत्म करने की साजिश कर रही हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "हम, पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक), एक हैं। हम पीडीए के सम्मान और गरिमा के लिए लड़ेंगे।" उन्होंने आरक्षण खत्म करने की साजिशों के खिलाफ भी संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।
सपा सांसद राम गोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कई ऐसे लोगों को सांसद और विधायक बनाया, जो दिल्ली या लखनऊ का रास्ता भी नहीं जानते थे। उन्होंने मौजूदा शासन व्यवस्था पर तीखा हमला बोला।
राम गोपाल यादव ने कहा, "हिंदुस्तान के इतिहास में कभी जनता पर इतना अत्याचार नहीं हुआ, जो आज हो रहा है। ऐसी घटिया शासन व्यवस्था कभी नहीं रही।" उन्होंने दावा किया, "2027 में हम मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और 2029 में दिल्ली की सरकार भी चली जाएगी।"
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेशभर से करीब 5,000 सपा समर्थक सैफई पहुंचे थे। इस दौरान कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह दिखा।
एक समर्थक लखनऊ से साइकिल से सैफई पहुंचा और अखिलेश से मिलने के लिए बैरिकेडिंग लांघकर मंच की तरफ बढ़ने की कोशिश की, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया। कुछ सपाई समर्थक तो टेंट पर चढ़ गए। मंच पर नेताओं में अखिलेश यादव के पैर छूने की होड़ मची रही।
पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह यादव का निधन 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुआ था। उन्होंने 55 साल तक राजनीति की।
1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। 5 दिसंबर 1989 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह बाद में दो बार और प्रदेश के सीएम रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। 'नेताजी' सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गए।