भारत मौसम विज्ञान विभाग और सीसीएस विश्वविद्यालय मेरठ के बीच 10 वर्षीय शैक्षणिक समझौता, मौसम और जलवायु पर होगा संयुक्त शोध

मेरठ। भारत मौसम विज्ञान विभाग , नई दिल्ली और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के बीच आज एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक एवं शोध सहयोग समझौता हुआ। यह समझौता आगामी 10 वर्षों तक प्रभावी रहेगा और इसके तहत मौसम पूर्वानुमान, जलवायु मॉडलिंग तथा पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और संयुक्त परियोजनाओं की राह खुलेगी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन देश की प्रमुख वैज्ञानिक संस्था है, मौसम संबंधी अवलोकन, पूर्वानुमान और भूकंपीय गतिविधियों पर अध्ययन करती है। यह संस्था भारत सहित उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों की भविष्यवाणी और चेतावनी जारी करने की जिम्मेदारी निभाती है। इसके पास दिल्ली मुख्यालय के अलावा देशभर के सैकड़ों वेधशालाएँ और क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
समारोह में भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. एम. महापात्रा, जो विश्व मौसम विज्ञान संगठन के प्रमुख विशेषज्ञों में गिने जाते हैं, ने कहा कि “सीसीएस विश्वविद्यालय के साथ यह साझेदारी देश में मौसम और जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में युवा शोधार्थियों को नई दिशा देगी। छात्र आईएमडी की प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन और अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाकर जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में नये शोध करेंगे। यह MoU न केवल शिक्षा जगत बल्कि समाज के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि “आज के समय में किसान मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमानों पर भरोसा करते हुए अपनी खेती से जुड़ी योजनाएँ बनाते हैं। विशेष रूप से सिंचाई के क्षेत्र में अब अधिकांश किसान मौसम की जानकारी देखकर ही निर्णय लेते हैं। इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने किसानों को पानी की बचत करने, लागत घटाने और फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद की है। यदि लोकल स्तर पर मेरठ जैसे क्षेत्रों का डेटा इकट्ठा किया जाए तो उससे और भी बेहतर पूर्वानुमान तैयार किए जा सकते हैं। यह डेटा बेहतर इमेज प्रोसेसिंग और उन्नत फोरकास्टिंग में भी मदद करेगा। मैं विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और प्रोफेसरों से अनुरोध करता हूँ कि वे इस दिशा में योगदान देकर मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को और सशक्त बनाने में सहयोग करें।”
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि “हमारे लिए यह गर्व का क्षण है कि देश की सर्वोच्च मौसम विज्ञान संस्था हमारे साथ जुड़ रही है। सीसीएसयू पहले से ही इस दिशा में कार्य कर रहा है और यह समझौता इस सहयोग को और आगे बढ़ाएगा। हम अपने शोधार्थियों और विद्यार्थियों को भरोसा दिलाते हैं कि विश्वविद्यालय न केवल उन्हें अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों और डेटा तक पहुँच दिलाएगा बल्कि हर छह महीने पर इस सहयोग की समीक्षा भी की जाएगी ताकि परिणाम ठोस और उपयोगी हों। यह क्षेत्र सीधे किसानों से जुड़ा हुआ है, इसलिए हम छात्रों में इस विषय पर व्यापक जागरूकता उत्पन्न करेंगे। डेटा का उपयोग शोध और प्रशिक्षण में किया जाएगा, और आईएमडी के वैज्ञानिक हमारे छात्रों के सह-मार्गदर्शक के रूप में योगदान देंगे। विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि कॉलेज स्तर के विद्यार्थी भी इस सहयोग से लाभान्वित हों और जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन तथा कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान में सक्रिय भागीदार बनें।”
इस अवसर पर भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से वैज्ञानिक-एफ एवं हेड आरएमसी नई दिल्ली गजेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक-एफ डॉ. वी. के. सोनी, वैज्ञानिक-एफ एवं हेड (ऑर्गनाइजेशन) डॉ. आर. के. गिरी विशेष रूप से मौजूद रहे।
विश्वविद्यालय की ओर से प्रो. एम. के. गुप्ता (प्रो-वीसी), प्रो. बीरपाल सिंह (निदेशक अनुसंधान एवं विकास) ,डॉ. अनिल कुमार यादव (रजिस्ट्रार), प्रो. जयमाला (डीन साइंस), प्रो. अनिल मलिक (हेड, भौतिकी विभाग), प्रो. संजीव शर्मा, डॉ. योगेंद्र गौतम आदि ने उपस्थिति दर्ज की।
प्रो. बीरपाल सिंह (निदेशक अनुसंधान एवं विकास) ने सीसीएसयू के लेटेस्ट अचीवमेंट के बारे में विस्तार से बताया।
इसके अतिरिक्त प्रोफेसर जितेन्द्र कुमार, डॉ. अंशु चौधरी, प्रोफेसर मुकेश शर्मा, इंजीनियर प्रवीण कुमार, मितेन्द्र कुमार गुप्ता सहित कई गणमान्य प्रोफेसर एवं अधिकारी भी उपस्थित रहे।