मेरठ: एसआईआर प्रक्रिया से पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों का चुनावी गणित बिगड़ा
मेरठ। एसआईआर (विशेष प्रगाण पुनरीक्षण) प्रक्रिया ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ दिया है। मेरठ के ग्रामीण इलाकों में इस प्रक्रिया के तहत डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान हुई। अब ये लोग फर्जी वोट नहीं डाल सकते। ऐसे में जो प्रत्याशी अपनी जीत के लिए ऐसे मतदाताओं के वोटों पर निर्भर थे, उनकी चुनाव से पहले ही मुश्किलें बढ़ गईं हैं।
पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही संभावित प्रत्याशियों ने दावेदारी पेश कर दी थी। प्रत्याशी गांव में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की जुगत में लग गए थे। इसके बाद वे अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए राजनैतिक दांवपेंच लगाने लगे थे। हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा डुप्लीकेट मतदाताओं को खोजने के लिए चलाए गए एसआईआर अभियान ने उनके इस गणित को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। जिन मतदाताओं को वे अपने पक्ष में मानकर चल रहे थे, वही अब डुप्लीकेट निकल रहे हैं।
आगामी पंचायत चुनावों को लेकर योग्य और उचित मतदाताओं की पहचान करने तथा नए मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को पूरा करा रहा है। इसी क्रम में, डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान और उन्हें सूची से हटाने की कार्रवाई से प्रत्याशियों का चुनावी गणित बिगड़ रहा है।
मेरठ के 12 विकासखंड में 479 ग्राम पंचायतों में लाखों मतदाता हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो सरकारी या प्राइवेट नौकरी के लिए दूसरे शहरों में शिफ्ट हो गए हैं और उन्होंने वहां वोट बनवा लिए हैं।
उनके वोट आज भी गांव में चल रहे हैं। नए नियमों के तहत ऐसे मतदाताओं को अब गांव के चुनाव में वोट डालने के लिए लाना संभव नहीं होगा।कई मतदाता रिश्तेदारी या अन्य कारणों से गांव में वोट डालने आ जाते थे। वे अब दोहरे नामों के नियम के कारण मतदान से वंचित हो सकते हैं।
पंचायती राज अधिनियम के अनुसार जिन मतदाताओं के नाम पहले से ही निकायों की मतदाता सूची में शामिल हैं। उन्हें पंचायत की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता है। इसी नियम के लागू होने से प्रत्याशियों का चुनावी गणित बिगड़ रहा है।
