मेरठ के सठला गांव में गोकशी छापेमारी के दौरान हिंसक घटना, आजाद अधिकार सेना ने स्वतंत्र जांच की मांग की
मेरठ। मेरठ जिले के मवाना थाना क्षेत्र अंतर्गत सठला गांव में गोकशी की सूचना पर हुई पुलिस छापेमारी के दौरान उत्पन्न हुई हिंसक घटना को लेकर आजाद अधिकार सेना ने गहरी चिंता व्यक्त की है। इसे कानून-व्यवस्था के साथ-साथ मानवाधिकारों से जुड़ा गंभीर विषय बताया है।
प्राप्त तथ्यों के अनुसार, छापेमारी के दौरान ग्रामीणों द्वारा पुलिस टीम पर हमला किए जाने की घटना सामने आई, जिसमें एक सिपाही के कपड़े फाड़े जाने, उनकी पिस्टल छीने जाने तथा मारपीट में तीन पुलिसकर्मियों के घायल होने की सूचना है। पुलिस द्वारा इस मामले में तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया गया है।
वहीं दूसरी ओर, ग्रामीणों द्वारा यह गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि पुलिस टीम सादे कपड़ों में, निजी वाहन से तथा कथित रूप से देशी हथियारों के साथ गांव में आई थी तथा स्वयं को पुलिस बताने में स्पष्टता नहीं थी। ग्रामीणों का कहना है कि इसी कारण भय एवं भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे विवाद बढ़ा। इस पूरी घटना से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे प्रकरण की संवेदनशीलता और गंभीरता और अधिक बढ़ गई है।
आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री देवेन्द्र सिंह राणा ने स्पष्ट कहा कि पुलिस पर हमला किसी भी परिस्थिति में निंदनीय और अस्वीकार्य है तथा दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुलिस कार्रवाई के दौरान निर्धारित कानूनी प्रक्रिया, पहचान, वर्दी या अन्य नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो उसकी भी निष्पक्ष जांच अनिवार्य है।
राणा ने बताया कि मेरे द्वारा इस पूरे मामले को लेकर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोनों पक्षों के साथ न्याय हो।
आजाद अधिकार सेना का मानना है कि यह मामला केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि पुलिस-जनता संबंधों, कानून के शासन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। यदि ऐसे मामलों में पारदर्शी और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे समाज में अविश्वास और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
आजाद अधिकार सेना ने प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन से अपील की है कि कानून का राज, मानवाधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
