उन्नाव दुष्कर्म केस: कुलदीप सेंगर के बेल ऑर्डर को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती, पीड़िता को जान का खतरा
नई दिल्ली/नोएडा। उन्नाव दुष्कर्म मामले में सजायाफ्ता पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले ने कानूनी और सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। अब इस मामले में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने निर्णायक हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है।
जांच एजेंसी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने हाई कोर्ट के जमानत आदेश का विस्तृत कानूनी अध्ययन पूरा कर लिया है। एजेंसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल करेगी। सीबीआई का स्पष्ट तर्क है कि मामले की गंभीरता और दोषी के रसूख को देखते हुए जमानत का फैसला न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। एजेंसी ने यह भी याद दिलाया कि हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने जमानत का पुरजोर विरोध किया था और लिखित दलीलों में सुरक्षा संबंधी खतरों को रेखांकित किया था।
पीड़ित परिवार की दहशत और इंडिया गेट पर रात भर चला हाई वोल्टेज ड्रामा
हाई कोर्ट से मिली राहत के बाद पीड़िता और उसकी मां का सब्र का बांध टूट गया। पीड़िता ने दिल्ली के इंडिया गेट पर धरना देकर अपनी सुरक्षा और पिता की हत्या का हवाला देते हुए न्याय की गुहार लगाई। पीड़िता ने कहा, "जिस बाहुबली ने मेरे परिवार को बर्बाद कर दिया, उसे महज छह साल में रिहा करना अन्याय की पराकाष्ठा है।" पीड़िता के अनुसार, सेंगर के बाहर आने से न केवल उनके परिवार की जान को खतरा है, बल्कि लंबित गवाहों और साक्ष्यों को भी प्रभावित किया जा सकता है।
2017 से अब तक: न्याय की लंबी और दर्दनाक राह
विदित हो कि साल 2017 के इस चर्चित कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। एक नाबालिग से दुष्कर्म, पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत और फिर रायबरेली में हुआ संदिग्ध सड़क हादसा—इन सभी घटनाओं के केंद्र में कुलदीप सिंह सेंगर का नाम रहा। साल 2019 में कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब करीब पांच साल बाद मिली इस 'अस्थायी राहत' को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में पलटने की तैयारी में है।
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