टीईटी बाध्यता पर शिक्षकों में नाराजगी: एससी/एसटी टीचर्स एसोसिएशन की बैठक में उठी मांग; पुराने शिक्षकों को मिले छूट

नौकरी के वर्षों बाद टीईटी थोपना अनुचित

2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी बाध्यता अन्यायपूर्ण
प्रदेश अध्यक्ष दिनेश विद्रोही ने कहा कि 2010 से पहले नियुक्त बेसिक शिक्षकों पर टीईटी बाध्यता थोपना न सिर्फ तर्कहीन है बल्कि संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय शिक्षकों की गरिमा के खिलाफ है। विद्रोही ने सभी शिक्षकों से इस फैसले के विरोध में लामबंद होने और लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहने की अपील की।
एससी/एसटी शिक्षकों के शोषण पर भी गुस्सा जताया गया
बैठक में एससी/एसटी वर्ग के शिक्षकों के साथ हो रहे कथित भेदभाव और शोषण पर भी चर्चा हुई। एसोसिएशन ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के शिक्षकों का उत्पीड़न किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में यह भी कहा गया कि संगठन शिक्षकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगा।
भविष्य की रणनीति पर विचार, आंदोलन की तैयारी शुरू
बैठक में संगठन के पदाधिकारियों ने आगे की रणनीति तय करने पर भी चर्चा की। बैठक में जिलाध्यक्ष राम बहादुर गौतम, जिला महामंत्री सुनील कुमार, जिला उपाध्यक्ष प्रेमचंद, जिला प्रवक्ता चमन सिंह गौतम, ब्लॉक अध्यक्ष चमरौआ अशोक कुमार रावत, जिला कोषाध्यक्ष रमेश पाल सिंह, जिलामंत्री प्रसन्न प्रकाश, जिला प्रचार मंत्री सरदीप गौतम, दिनेश कुमार, बीर सिंह, जबर सिंह और सुरेंद्र सिंह सहित कई वरिष्ठ शिक्षक मौजूद रहे। सभी ने एकमत से फैसला लिया कि सरकार से टीईटी की अनिवार्यता पर पुनर्विचार की मांग की जाएगी और आवश्यकता पड़ी तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
