एक ही खेत से कमाएं दोगुना मुनाफा, जानिए फूलगोभी टमाटर और शिमला मिर्च की सहफसली खेती की पूरी विधि
अगर आप खेती में कम मेहनत और ज्यादा मुनाफा चाहते हैं तो अब वक्त आ गया है नई तकनीक अपनाने का। आजकल किसान पारंपरिक खेती से हटकर सहफसली खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इस खेती की सबसे बड़ी खूबी यह है कि एक ही खेत में कई तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जिससे भूमि का बेहतर उपयोग होता है और आय के कई रास्ते खुल जाते हैं।
सहफसली खेती से बढ़ रहा है किसानों का मुनाफा
कम लागत में ज्यादा आमदनी का जरिया
सहफसली खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लागत कम आती है लेकिन मुनाफा बहुत ज्यादा होता है। एक बीघा में खेती की लागत लगभग 20 से 25 हजार रुपये तक होती है जिसमें बीज, कीटनाशक, खाद और सिंचाई का खर्च शामिल है। वहीं फसल कटाई के बाद डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। यानी पारंपरिक खेती की तुलना में सहफसली खेती से आय लगभग दोगुनी हो जाती है।
सहफसली खेती की विधि और देखभाल
इस खेती की शुरुआत खेत की गहरी जुताई से होती है ताकि मिट्टी भुरभुरी और उपजाऊ बन सके। इसके बाद गोबर की सड़ी हुई खाद और वर्मी कंपोस्ट मिलाई जाती है। फिर खेत को बराबर करके बेड तैयार किए जाते हैं और पौधों को लाइन टू लाइन लगाया जाता है। पौधा लगाने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए ताकि पौधे जल्दी जड़ पकड़ सकें।
फसलों को नियमित पानी देना जरूरी है ताकि नमी बनी रहे और उत्पादन बेहतर हो। आमतौर पर सहफसली फसलें 60 से 65 दिनों में बाजार में बेचने लायक हो जाती हैं। इससे किसानों को जल्दी आमदनी मिलती है और एक सीजन में दो से तीन बार फसल काटी जा सकती है।
फायदे जो हर किसान को जानने चाहिए
सहफसली खेती में भूमि का कोई हिस्सा खाली नहीं रहता जिससे हर इंच जमीन का पूरा उपयोग होता है। इस तकनीक से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीट रोगों का खतरा भी कम होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे किसानों को एक ही सीजन में कई फसलों से लगातार आमदनी मिलती है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
सहफसली खेती आज आधुनिक कृषि का एक सफल मॉडल बन चुकी है। यह खेती न केवल मुनाफे को बढ़ाती है बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग में भी मदद करती है। अगर किसान सही तरीके से इसकी शुरुआत करें तो वे सालभर में लाखों रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं और खेती को एक लाभदायक व्यवसाय बना सकते हैं।
Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और अनुभवी किसानों के अनुभवों पर आधारित है। किसी भी नई तकनीक को अपनाने से पहले अपने स्थानीय कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें ताकि आपकी जमीन और जलवायु के अनुसार सही निर्णय लिया जा सके।
