अपनी कोर्ट में रिश्तेदार को जमानत देने के आरोप पर हाई कोर्ट ने मांगा मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण, क्या है आखिर पूरा मामला?
चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (जेएमआईसी) वंदना से जवाब मांगा है, जिन पर अपने रिश्तेदार को जमानत देने का आरोप है। यह मामला आरोपी ऋषभ वालिया को दी गई जमानत से जुड़ा है, जिसे जज वंदना ने मंजूर किया था। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए (गवाह को झूठी गवाही देने की धमकी देना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आगे की कार्यवाही से पहले संबंधित न्यायिक अधिकारी से स्पष्टीकरण लिया जाना आवश्यक है। न्यायमूर्ति सुमीत गोयल ने आदेश दिया, “इस मामले में आगे बढ़ने से पूर्व, यह न्यायालय उचित समझता है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी श्रीमती वंदना, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी से टिप्पणी प्राप्त की जाए। इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया जाता है कि उक्त अधिकारी की टिप्पणियां सीलबंद लिफाफे में मंगाई जाएं और अगली सुनवाई की तारीख को पेश की जाएं।” अगली सुनवाई की तारीख 26 नवंबर तय की गई है।
यह याचिका शिकायतकर्ता आकाश वालिया ने दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि जज वंदना, आरोपी ऋषभ वालिया की कजिन बहन हैं और उन्हें इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी। वहीं, हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि दोनों “दूर के रिश्तेदार” हैं। कोर्ट ने सरकारी जवाब का हवाला देते हुए टिप्पणी की कि, “श्रीमती वंदना , उत्तरदाता नंबर-2 रिशभ वालिया की दूर की रिश्तेदार हैं।”
बता दें, जमानत देते समय जज वंदना ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में धारा 195ए आईपीसी का प्रावधान कैसे लागू होता है, यह स्पष्ट नहीं है। उनके आदेश के अनुसार, “यह एक प्रक्रियात्मक धारा है, जिसके तहत तब मामला बनता है जब गवाहों को धमकी दी जाती है। इस मामले में एफआईआर और पुलिस फाइल के अवलोकन से स्पष्ट है कि किसी गवाह को धमकाने या प्रभावित करने का कोई ठोस सबूत नहीं है।” याचिकाकर्ता आकाश वालिया की ओर से अधिवक्ता फतेह सैनी ने पैरवी की।
