हरियाणा की ऐतिहासिक छलांग: 5700 करोड़ से बदलेगा सिंचाई तंत्र, बनेगा देश का पहला ‘जल सुरक्षित राज्य’
Haryana News: हरियाणा सरकार ने राज्य को देश का पहला ‘जल सुरक्षित राज्य’ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए 5700 करोड़ रुपये की विशाल परियोजना तैयार की गई है, जिसमें राज्य के सिंचाई तंत्र का व्यापक नवीनीकरण होगा। इस प्रयास से पानी की बर्बादी में कमी आएगी और किसानों को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल सकेगा।
छह साल का मिशन - 1798 किमी नहरों का होगा कायाकल्प
परियोजना पर कुल 5700 करोड़ रुपये खर्च होंगे,
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ योजना का मसौदा साझा करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम अगले साल शुरू होगा और वर्ष 2032 तक चलेगा। यह एकीकृत, डेटा आधारित और प्रदर्शन-उन्मुख दृष्टिकोण पर आधारित होगा, जो राज्य के सिंचाई एवं जल प्रबंधन तंत्र का कायाकल्प करेगा।
18 जिलों में लागू होगी योजना - 3.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र होगा लाभान्वित
यह मेगा प्रोजेक्ट 18 जिलों के 14 रणनीतिक सिंचाई क्लस्टरों में लागू किया जाएगा। यह लगभग 3,63,546 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र को कवर करेगा। साथ ही शेष जिलों को नाबार्ड और राज्य बजट के माध्यम से जोड़ा जाएगा।
हालांकि भौतिक कार्य विशेष क्षेत्रों में होंगे, लेकिन नीति और संस्थागत सुधारों के लाभ सभी 22 जिलों तक पहुंचेंगे।
पुनर्चक्रित जल से सिंचाई - जींद, कैथल और गुरुग्राम में नई पहल
जींद, कैथल और गुरुग्राम के प्रमुख सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) से उपचारित जल का पुनः उपयोग किया जाएगा। इससे लगभग 11,500 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई संभव होगी। सिंचाई विभाग और मिकाडा किसानों के साथ मिलकर साझा परामर्श बैठकें करेंगे, जिससे परिणाम दीर्घकालिक और स्थायी हों।
जलभराव क्षेत्रों में समाधान -वर्टिकल ड्रेनेज और बायो ड्रेनेज सिस्टम लागू
राज्य के लगभग दो लाख एकड़ जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में कृषि विभाग वर्टिकल और सब-सर्फेस ड्रेनेज सिस्टम विकसित करेगा, जिससे जलभराव और लवणीयता की समस्या का समाधान होगा। वहीं वन विभाग इन क्षेत्रों में जैविक जल निकासी प्रणाली (बायो ड्रेनेज) लागू करेगा, जिससे पर्यावरणीय दृष्टि से भी जल सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
यह कदम राज्य के पर्यावरण-संतुलन और जल संरक्षण दोनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
