घर पर गमले में उगाएं देसी मटर, सिर्फ 40 दिन में खिलेंगी हरी-हरी फलियाँ और मिलेंगे ताजे स्वाद का मजा

अगर आप भी अपने घर की बालकनी या छत को हरा-भरा बनाना चाहते हैं और साथ ही ताजी सब्जियों का मजा लेना चाहते हैं तो आज का यह लेख आपके लिए बहुत खास है। आपने अब तक घर में फूलों या शोभा बढ़ाने वाले पौधे लगाए होंगे लेकिन अब बारी है एक ऐसे पौधे की जो आपके घर की सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ ताजी देसी सब्जी भी देगा। हम बात कर रहे हैं देसी मटर के पौधे की जिसे आप अपने घर के गमले में बहुत आसानी से उगा सकते हैं। खास बात यह है कि यह पौधा सिर्फ 40 से 60 दिनों में फलियाँ देना शुरू कर देता है और इसमें बहुत कम खर्च आता है।
विशेषज्ञ की सलाह से करें शुरुआत
धूप और नमी का रखें ध्यान
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मटर के पौधों को धूप बहुत पसंद होती है। इसलिए गमले को ऐसी जगह रखें जहां रोजाना 6 से 8 घंटे की सीधी धूप मिले। अगर धूप नहीं मिलेगी तो पौधा कमजोर रहेगा और फलियाँ नहीं बनेंगी। बीज बोने के बाद मिट्टी की नमी बनाए रखना जरूरी है लेकिन अधिक पानी देने से पौधा सड़ सकता है इसलिए हल्का-हल्का पानी देना ही पर्याप्त है।
पौधे को दें सहारा और पोषण
करीब 20 से 25 दिन बाद पौधे में जब नई पत्तियाँ आने लगें तो उसमें जैविक खाद डालें। इससे पौधा तेजी से बढ़ता है और फलियाँ जल्दी लगती हैं। जैसे-जैसे पौधे बड़े होने लगें तो उन्हें ऊपर चढ़ने के लिए सहारा दें। आप चाहें तो खूंटे या जाली का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे पौधा सीधा बढ़े और फली बनने की प्रक्रिया मजबूत हो। इस देखभाल के बाद लगभग डेढ़ महीने में आपका पौधा हरी-हरी फलियों से भर जाएगा।
घर की रसोई के लिए ताजा देसी स्वाद
घर पर उगी मटर का स्वाद बाजार की तुलना में ज्यादा मीठा और ताजा होता है क्योंकि इसमें किसी तरह का केमिकल या कीटनाशक नहीं होता। आप चाहें तो इन्हें सब्जियों, पुलाव, पराठे या सूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह न केवल आपके खाने का स्वाद बढ़ाएगा बल्कि आपकी मेहनत का परिणाम देखकर मन को भी सुकून मिलेगा।
दोस्तों अगर आप भी अपनी बालकनी या छत को सब्जियों के छोटे बगीचे में बदलना चाहते हैं तो मटर का पौधा सबसे अच्छा विकल्प है। इसे उगाना आसान है खर्च कम है और परिणाम बेहद शानदार है। बस धूप, नमी और जैविक खाद का ध्यान रखें और देखिए कैसे आपके घर पर हरी-भरी फलियाँ खिल उठेंगी। यह तरीका उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा है जो शहरों में रहते हैं और खेतों जैसी ताजी सब्जी खाना चाहते हैं।