सर्दियों में पशुओं को मिलेगा भरपूर प्रोटीनयुक्त हरा चारा, दूध उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को होगा दोगुना फायदा

भाइयों और बहनों सर्दियों का मौसम आते ही अक्सर पशुओं के लिए हरे चारे की चिंता बढ़ जाती है क्योंकि बरसात में बोई गई हरी घास और चरी धीरे धीरे खत्म हो जाती है। लेकिन आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आप अभी से बरसीम बो देते हैं तो पूरी सर्दियों में आपके पशुओं को लगातार हरा और पौष्टिक चारा मिलता रहेगा। आज हम आपको बताएंगे कि बरसीम की बुवाई कैसे की जाती है इसका सही समय कौन सा है और इससे किसान भाइयों को कितना लाभ हो सकता है।
क्यों है बरसीम खास
भूमि की तैयारी और बुवाई का सही समय
बरसीम की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। किसान अनिल कुमार के अनुसार खरीफ की फसल जैसे मक्का बाजरा या कपास की कटाई के बाद खेत को पलटने वाले हल और फिर देशी हल से 3 से 4 बार जोतकर तैयार किया जाता है। इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल बना लेना चाहिए। बरसीम की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर माना जाता है लेकिन किसान इसे सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर तक आराम से बो सकते हैं।
बीज की तैयारी और बुवाई की विधि
बरसीम की बुवाई से पहले बीज को सही तरीके से तैयार करना बहुत जरूरी है। किसान भाई डेढ़ लीटर पानी में लगभग 200 ग्राम गुड़ घोल लें फिर उसमें एक पैकेट कल्चर मिलाएं। इसके बाद बरसीम के बीजों को 5 से 6 घंटे तक पानी में भिगो दें। भीगे हुए बीजों को छानकर कल्चर के घोल से अच्छे से मिला लें ताकि हर बीज पर परत चढ़ जाए। फिर इन्हें जूट के बोरे पर फैला कर सुखा लें और बुवाई कर दें। धान की खड़ी फसल वाले खेत में भी बरसीम बोया जा सकता है। इसके लिए धान की कटाई से 15 से 20 दिन पहले छिड़काव विधि से बीज डालना होता है। बीज की मात्रा की बात करें तो 2 बिस्वा खेत के लिए लगभग 1 किलो बरसीम बीज पर्याप्त होता है।
किसानों के लिए लाभ
बरसीम बोने से किसान भाइयों को दोहरा फायदा होता है। पहला तो यह कि उनके पशुओं को भरपूर हरा और पौष्टिक चारा मिलता है जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है और पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दूसरा यह कि खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है जिससे अगली फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। कम लागत में ज्यादा फायदा देने वाली यह खेती किसानों के लिए सर्दियों में बेहद फायदेमंद साबित होती है।