किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है तारामीरा की खेती, कम पानी में भी देती है शानदार उपज और लाखों की आमदनी

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रबी सीजन की शुरुआत होते ही किसान अब उन फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार दें और ज्यादा मुनाफा पहुंचाएं। अगर आप भी ऐसी ही किसी फसल की तलाश में हैं तो तारामीरा की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। यह फसल कम पानी में भी शानदार उत्पादन देती है और किसानों के लिए रबी सीजन में कमाई का एक प्रमुख जरिया बन चुकी है।

राजस्थान के कई जिलों जैसे नागौर, जोधपुर, बीकानेर और चुरू में तारामीरा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फसल सूखे और अर्धसूखे इलाकों में भी अच्छी तरह बढ़ती है। यही कारण है कि इसे किसानों के लिए ‘ड्राई एरिया गोल्ड’ कहा जाता है।

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तारामीरा की खेती के फायदे

तारामीरा एक प्रमुख तिलहनी फसल है जिसका तेल बाजार में काफी मांग में रहता है। कृषि विशेषज्ञ बजरंग सिंह के अनुसार यह फसल न केवल कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती है बल्कि खेत की उर्वरता को भी बढ़ाती है। जब किसान इस फसल की कटाई कर लेते हैं तो मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाती है जिससे अगली फसल की पैदावार भी बढ़ जाती है।

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इसकी खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर की शुरुआत तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान मौसम में नमी और तापमान का संतुलन फसल के अंकुरण के लिए आदर्श रहता है। बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 5 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक दवा से उपचारित करना बहुत जरूरी होता है ताकि फसल रोगों से सुरक्षित रहे।

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सिंचाई और देखभाल

तारामीरा की फसल की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ती। बुवाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद फूल आने से पहले पहली सिंचाई करनी चाहिए। इससे पहले खेत में पर्याप्त नमी बनी रहनी चाहिए। बुवाई के बाद लगभग 20 से 25 दिन में पहली निराई करना जरूरी होता है ताकि खरपतवार फसल की वृद्धि में बाधा न डाल सके।

यह फसल लगभग 3 से 3.5 महीने में पक कर तैयार हो जाती है जिससे किसान जल्दी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं और अगली फसल की तैयारी भी समय पर कर सकते हैं।

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

अगर बात करें लागत और मुनाफे की तो तारामीरा की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के अनुसार एक बीघा में लगभग 2,000 से 2,500 रुपए तक की लागत आती है जबकि इसका बाजार भाव करीब 5,000 से 6,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच जाता है।

औसतन किसान एक बीघा से 8,000 से 12,000 रुपए तक की शुद्ध आमदनी कमा सकते हैं। इतना ही नहीं राजस्थान सरकार भी किसानों को तारामीरा की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, तकनीकी जानकारी और अनुदान की सुविधा प्रदान की जा रही है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो तारामीरा की खेती रबी सीजन में किसानों के लिए एक शानदार अवसर बन चुकी है। यह फसल कम पानी में भी बेहतरीन उत्पादन देती है और साथ ही मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। अगर आप भी कम लागत और अधिक मुनाफे वाली खेती की तलाश में हैं तो इस बार रबी सीजन में तारामीरा की बुवाई जरूर करें। इससे आपकी आमदनी बढ़ेगी और खेत भी उपजाऊ बने रहेंगे।

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