हाईकोर्ट में पतियों की तरफ से याचिका : कहा- पत्नियों से हो रहे हैं प्रताड़ित, हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज

प्रयागराज। अब तक आपने महिलाओं को उत्पीड़न के खिलाफ कानून की गुहार लगाते देखा होगा, लेकिन इस बार मामला उल्टा था! पतियों को पत्नियों के 'उत्पीड़न' से बचाने और झूठे मुकदमों पर लगाम लगाने की मांग लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
"पत्नियों को निष्ठुर बना रहे महिलाओं के पक्ष में बने कानून"
चंदौली की प्रचार-प्रसार संस्था 'सीताराम नाम' की तरफ से चंद्रमा विश्वकर्मा द्वारा दाखिल इस जनहित याचिका (PIL) में कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। याचिकाकर्ता का तर्क था:
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झूठे केसों का जंजाल: याचिका में कहा गया था कि दहेज हत्या के 90 प्रतिशत मामले झूठे हो रहे हैं, जिससे पति और उसके पूरे परिवार को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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निर्दयी पत्नियाँ: आरोप लगाया गया कि औरतों के पक्ष में बने कानूनों ने उन्हें 'निष्ठुर' बना दिया है और वे पतियों के प्रति अपराध कर रही हैं।
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फर्जी रेप केस: याचिका में यहाँ तक कहा गया था कि पत्नियाँ रेप के फर्जी केस भी करा रही हैं।
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तलाक की मुश्किल: याचिकाकर्ता ने हिंदू विवाह में कोर्ट से तलाक लेना बेहद कठिन बताया था।
याचिका में पुरुष उत्पीड़न रोकने के लिए कानून बनाने की मांग करते हुए कोर्ट से सरकार को आदेश देने की गुहार लगाई गई थी।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिका में उठाए गए इस मुद्दे को विचारणीय (Admissible) नहीं माना और याचिका को सीधे तौर पर खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उन्होंने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजे थे, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। बहरहाल, पतियों के लिए सुरक्षा कवच बनाने की यह पहल हाईकोर्ट की दहलीज पर ही थम गई है।
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