रजनीगंधा की खेती से बनाएं शानदार आमदनी, फूलों के व्यापार में पाएँ बंपर मुनाफा

अगर आप भी खेती में कुछ नया और लाभकारी करना चाहते हैं तो फूलों की खेती आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकती है। खासकर रजनीगंधा की खेती भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसकी खूबसूरती और खुशबू के कारण बाजार में इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। रजनीगंधा का उपयोग सजावट, गजरे, मालाएं और इत्र बनाने में होता है। यही कारण है कि इस खेती से किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।
रजनीगंधा की रोपाई बल्ब से की जाती है। अच्छे और रोगमुक्त बल्ब का चयन करना बेहद जरूरी है। रोपाई का सही समय फरवरी से मार्च या जुलाई से अगस्त तक होता है। पौधों की दूरी पंक्ति से पंक्ति 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधा 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। प्रमुख किस्मों में सिंगल पंखुड़ी और डबल पंखुड़ी वाली किस्में शामिल हैं।
सिंचाई और खाद का संतुलन फसल के लिए महत्वपूर्ण है। रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों में 7 से 8 दिन और सर्दियों में 15 दिन के अंतर पर सिंचाई फसल के लिए सही रहती है। खाद के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ यूरिया, डीएपी और पोटाश संतुलित मात्रा में देना चाहिए।
रजनीगंधा की फसल में बल्ब सड़न, पत्ती धब्बा और थ्रिप्स जैसे कीट लग सकते हैं। इसके लिए समय-समय पर जैविक दवा या उचित कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी है। खेत में पानी का जमाव न होने देना फसल की ताजगी और पैदावार दोनों के लिए लाभकारी है।
रोपाई के 3 से 4 महीने बाद फूल आने लगते हैं। फूलों की तोड़ाई सुबह या शाम को करना चाहिए ताकि उनकी ताजगी बनी रहे। रजनीगंधा के फूलों का उपयोग शादी समारोह, धार्मिक आयोजन और इत्र बनाने में किया जाता है।
एक हेक्टेयर में लगभग 1.5 से 2 लाख पौधे लगाए जा सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में एक हेक्टेयर से 20 से 25 क्विंटल फूल प्राप्त होते हैं। बाजार में रजनीगंधा के फूल 200 से 400 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं। इस तरह किसान एक हेक्टेयर से 4 से 5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। अगर किसान सीधे मंडी या फूल बाजार में बिक्री करें तो और अधिक लाभ मिल सकता है।
रजनीगंधा की खेती कम खर्च में लंबी अवधि तक लाभ देने वाली व्यवसायिक फसल है। सही देखभाल, अच्छे बल्ब और बाजार से जुड़ाव के साथ किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। यह खेती न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी है बल्कि गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ाती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी तरह की खेती शुरू करने से पहले कृषि विशेषज्ञ या स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लेना जरूरी है।