एक ही खेत में दो फसलें अरहर और मक्का की सहफसली खेती से किसानों को डबल कमाई का सुनहरा मौका

खेती हमेशा मेहनत मांगती है लेकिन अगर किसान समय के साथ नए प्रयोग करें तो कम जमीन से भी ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसी सोच के साथ अब किसान पारंपरिक खेती छोड़कर नई तकनीकें अपनाने लगे हैं। सहफसली खेती यानी एक ही खेत में दो फसलें लगाने की पद्धति किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
सहफसली खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहती है। अरहर मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है जिससे मक्का की पैदावार अच्छी होती है। इसके अलावा इस पद्धति से फसलों में रोग लगने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है।
इस खेती से किसानों को दोहरा लाभ हो रहा है। एक ही खेत से दो फसलें मिलने लगी हैं और दोनों की बाजार में अच्छी मांग है। अरहर से बनने वाली दाल हर घर की जरूरत है और इसकी कीमत हमेशा स्थिर रहती है। वहीं मक्का पशु चारे के रूप में भी आसानी से बिक जाता है। यही वजह है कि किसान अरहर और मक्का की सहफसली खेती से अच्छी कमाई कर पा रहे हैं।
सहफसली खेती न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी है बल्कि यह पर्यावरण और मिट्टी की सेहत के लिए भी बेहतरीन विकल्प है। इससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिलता है और खेती टिकाऊ बनती है।
दोस्तों अगर आप भी पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं तो अरहर और मक्का की सहफसली खेती आपके लिए बहुत अच्छा विकल्प है। इससे एक ही खेत से डबल मुनाफा होगा साथ ही मिट्टी भी उपजाऊ बनी रहेगी और फसल पर रोगों का असर भी कम होगा।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी नई तकनीक या फसल अपनाने से पहले कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।