डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान और किसानों के लिए मुनाफे का जरिया, स्टीविया की खेती से बदल रही किस्मत

आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके आगे चीनी की मिठास भी फीकी पड़ जाती है। इस पौधे की पत्तियां इतनी मीठी होती हैं कि शुगर के मरीज भी बिना किसी डर के इसका सेवन कर सकते हैं। यही वजह है कि मार्केट में इसकी डिमांड दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ रही है। बात हो रही है स्टीविया की खेती की जिसे शुगर फ्री नेचुरल स्वीटनर के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है।
स्टीविया की खेती कैसे करें
स्टीविया की खेती किसानों के लिए व्यावसायिक रूप से बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम होती है और मिट्टी का pH स्तर 5.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इस पौधे की रोपाई नर्सरी में तैयार कलमों से की जाती है और खेतों में ड्रिप या स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करनी चाहिए। पौधों के बीच लगभग 15 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 40 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है।
स्टीविया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी एक बार रोपाई करने के बाद पौधा 4 से 5 साल तक उत्पादन देता है। रोपाई के करीब 3 से 4 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जा सकती है और उसके बाद हर 50 से 90 दिन के अंतराल पर लगातार कटाई मिलती रहती है।
कमाई कितनी होगी
अगर कमाई की बात करें तो स्टीविया किसानों के लिए सोने की खान साबित हो सकती है। एक एकड़ जमीन में इसकी खेती से लगभग 25 से 30 क्विंटल सूखी पत्तियां आसानी से मिल जाती हैं। मार्केट में इन पत्तियों की कीमत 250 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति किलो तक रहती है। यानी कि एक एकड़ से किसान 8 से 10 लाख रुपए तक की ताबड़तोड़ कमाई कर सकते हैं। यही वजह है कि आजकल स्टीविया की खेती किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही है।
दोस्तों यह पौधा न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि किसानों के लिए भी आर्थिक उन्नति का जरिया बन सकता है। अगर आप भी खेती से अच्छी आमदनी करना चाहते हैं तो स्टीविया की खेती आपके लिए एक शानदार विकल्प साबित हो सकती है।
डिस्क्लेमर:
यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। खेती शुरू करने से पहले कृषि विशेषज्ञ या कृषि विभाग से सलाह जरूर लें।