एसबीआई की रिपोर्ट ने सुझाई 25 बीपीएस कटौती, जबकि अर्थशास्त्रियों का कहना है मौजूदा रेट बरकरार रहने की संभावना अधिक

RBI Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 1 अक्टूबर को होने वाली है। इस बैठक में रेपो रेट को लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है। पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति दर में गिरावट देखी गई है, जिससे बाजार और विशेषज्ञ दोनों की नजरें इस बैठक पर टिक गई हैं।
एसबीआई की रिपोर्ट में 25 बेसिस पॉइंट कटौती का सुझाव
फरवरी से अगस्त तक हुई कटौती और मौजूदा स्थिति
इस साल फरवरी से अगस्त के बीच आरबीआई ने कुल मिलाकर तीन बार मिलाकर 100 बीपीएस की कटौती की है। अगस्त में कोई बदलाव नहीं किया गया था ताकि अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक आर्थिक तनावों का असर देखा जा सके। हालिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फरवरी से अगस्त तक की कटौती का असर बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त रूप से पहुंच चुका है।
अदिति नायर और धर्मकीर्ति जोशी की राय
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि जीएसटी के नए दो-स्तरीय ढांचे से महंगाई दर पर नियंत्रण बनेगा, लेकिन इसके बावजूद एमपीसी 1 अक्टूबर की बैठक में स्थिरता बरकरार रख सकता है। वहीं Crisil के धर्मकीर्ति जोशी का मानना है कि महंगाई कम होने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में संभावित कटौती के कारण आरबीआई के पास रेट घटाने की गुंजाइश बनी हुई है।
एसबीएम बैंक के मंडर पितले का दृष्टिकोण
एसबीएम बैंक के मंडर पितले ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए एमपीसी शायद रेपो रेट को वर्तमान स्तर पर कायम रखेगी और दिसंबर में परिस्थितियों के आधार पर बदलाव कर सकती है। इस बैठक में न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्यों पर भी ध्यान रखा जाएगा।
सतर्कता के साथ होगा निर्णय
आरबीआई की अगली बैठक में दरों को लेकर सतर्कता बरती जाएगी। केंद्रीय बैंक वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों, और घरेलू महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए फैसला ले सकता है। वित्तीय बाजारों और निवेशकों की निगाहें इस बैठक पर बनी रहेंगी।