कम पानी में ज्यादा पैदावार और शानदार दाने देने वाली शरबती गेहूं वैरायटी, किसानों के लिए मुनाफे का नया रास्ता
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रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है और किसानों के खेतों में फिर से गेहूं की हरियाली छाने वाली है। इस समय किसान जोर शोर से खेतों की तैयारी में लगे हुए हैं क्योंकि गेहूं की बुवाई का सही समय करीब आ चुका है। खेती में सबसे अहम बात होती है सही किस्म का चयन करना। अगर गेहूं की अच्छी और उच्च गुणवत्ता वाली किस्म का चुनाव कर लिया जाए तो कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन मिल सकता है और बाजार में उसकी मांग भी बनी रहती है। आज हम आपको गेहूं की ऐसी ही एक वैरायटी के बारे में बता रहे हैं जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है।
गेहूं की एचआई 1531 किस्म की खासियत
यह किस्म रोगों के प्रति सहनशील है और असिंचित या अर्धसिंचित क्षेत्रों के लिए भी बेहद उपयुक्त है। यही कारण है कि किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
खेती का सही समय और तरीका
अगर आप गेहूं की एचआई 1531 किस्म की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसकी बुवाई का समय अच्छी तरह पता होना चाहिए। इस किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच करना सबसे बेहतर रहता है। खेत की जुताई करने के बाद मिट्टी में गोबर की खाद मिलाना इसकी उपज के लिए लाभदायक होता है। इसकी खेती एक से दो सिंचाई में भी आसानी से की जा सकती है और अगर जैविक खाद का प्रयोग किया जाए तो परिणाम और भी अच्छे मिलते हैं।
बुवाई के बाद इस किस्म की फसल लगभग 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यानी किसान जल्दी और सुरक्षित उत्पादन लेकर बाजार में बेच सकते हैं।
उत्पादन और मुनाफा
गेहूं की एचआई 1531 किस्म अपनी उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। यह रोगों के प्रति सहनशील है और उच्च तापमान व कम नमी में भी अच्छी पैदावार देती है। एक हेक्टेयर में इसकी खेती से लगभग 45 से 46 क्विंटल गेहूं का उत्पादन प्राप्त होता है। इतनी उपज किसानों को लाखों रुपए की कमाई दिला सकती है क्योंकि इसकी मांग बाजार में लगातार बनी रहती है।
दोस्तों अगर आप इस रबी सीजन में गेहूं की खेती की तैयारी कर रहे हैं और चाहते हैं कि कम पानी में ज्यादा उत्पादन मिले तो एचआई 1531 किस्म आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह न सिर्फ स्वादिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाला गेहूं देती है बल्कि किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया भी साबित होती है।
Disclaimer: यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृषि विशेषज्ञ या स्थानीय कृषि विभाग की सलाह जरूर लें।