अभिसार शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, चार हफ्ते के लिए गिरफ्तारी पर लगी रोक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अभिसार शर्मा को असम सरकार के खिलाफ यूट्यूब वीडियो में की गई कथित आलोचना के मामले में बड़ी राहत दी है। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शर्मा को सीधे शीर्ष अदालत में दायर प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका के बजाय गुवाहाटी उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया। पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा, "आप प्राथमिकी को उच्च न्यायालय में चुनौती दें। आप उच्च न्यायालय को क्यों दरकिनार कर रहे हैं? सिर्फ इसलिए कि आप एक पत्रकार हैं, हम आपको संरक्षण देंगे। आप उच्च न्यायालय जाएं।"
अभिसार शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से हस्तक्षेप का आग्रह किया, यह तर्क देते हुए कि उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की जा सकती हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन कहा कि वे याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के लिए अंतरिम संरक्षण देने के इच्छुक हैं ताकि वह उच्च न्यायालय में अपना मामला रख सकें।
भारतीय न्याय संहिता की धारा पर भी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने अभिसार शर्मा की ओर से भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 की संवैधानिक वैधता को अलग से चुनौती देने पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। यह धारा राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालने के अपराध से संबंधित है। इस पहलू को न्यायालय में पहले से लंबित इसी तरह की याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है।
अभिसार शर्मा के खिलाफ 21 अगस्त को दर्ज प्राथमिकी में उन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196 और 197 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर सरकार का उपहास करने, राम राज्य की अवधारणा का मजाक उड़ाने और 3,000 बीघा आदिवासी भूमि एक निजी संस्था को आवंटित करने के लिए राज्य की आलोचना करते हुए विभाजनकारी भावनाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।
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