अमित शाह ने राज्यसभा सभापति को लिखा पत्र: 'वंदे मातरम्' न गाने वाले सांसदों का ब्योरा दिया
नई दिल्ली। वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर जहां केंद्र सरकार इसको एक उत्सव के रूप में मना रही है, वहीं कुछ विपक्षी पार्टी के सांसदों द्वारा राष्ट्रगीत गाने से इनकार करने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नाराजगी दर्ज कराई है। इसे लेकर उन्होंने राज्यसभा के सभापति के नाम एक पत्र भी लिखा है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैं कुछ तथ्य रिकॉर्ड के लिए राज्यसभा सचिवालय को सौंप रहा हूं। ये घटनाएं सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं और इनमें संबंधित व्यक्तियों, वर्ष तथा विवरण का संक्षिप्त उल्लेख किया गया है। अमित शाह ने कहा कि संबंधित घटनाओं का सार संलग्न दस्तावेज में प्रस्तुत किया गया है। मेरा विनम्र आग्रह है कि सभापति इन तथ्यों को राज्यसभा के आधिकारिक अभिलेख में सम्मिलित कराने की कृपा करें। उन्होंने कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का हवाला देते हुए लिखा कि उन्होंने 'वंदे मातरम' गाने से इनकार किया और इसके पीछे धार्मिक आस्था का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद मेहदी ने संसद चर्चा के दौरान 'वंदे मातरम्' गाने से इनकार किया और कहा, 'यह हमारे लिए संभव नहीं है।'
अगला नाम समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का था, जिन्होंने 2019 में लोकसभा शपथ के समय वंदे मातरम न गाने की बात कही थी। ऐसे ही सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने भी वंदे मातरम गाने के अपने दादा (शफीकुर्रहमान बर्क) के रुख का समर्थन किया। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी 2019 में वंदे मातरम गाने से इनकार किया, जिसके पीछे कारण के रूप में धार्मिक सिद्धांत बताया गया। समाजवादी पार्टी ने स्कूलों में वंदे मातरम अनिवार्य करने वाले आदेश को रद्द करने की मांग की। कांग्रेस नेता और वर्तमान में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2022 में संविधान दिवस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं से वंदे मातरम न गाने को कहा।
