'वंदे मातरम्' पर विशेष चर्चा: अमित शाह बोले- इसे बंगाल चुनाव से जोड़ना गलत, यह राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का स्मरण है
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा शुरू हुई। इसकी शुरुआत करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि देश की आजादी, राष्ट्रीय चेतना और मां भारती के प्रति समर्पण का शक्तिशाली मंत्र है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान था और जब 2047 में भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा होगा, तब भी वंदे मातरम की भावना उतनी ही मजबूत रहेगी। सदन में जानकारी दी गई कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना वंदे मातरम पहली बार सार्वजनिक हुई थी।
शुरू में इसे एक बेहतरीन साहित्यिक रचना माना गया, लेकिन धीरे-धीरे यह देशभक्ति का प्रतीक बनकर आजादी के आंदोलन की पहचान बन गई। बंकिमचंद्र की इस रचना ने उस दौर में देश को चेतना और साहस दिया। शाह ने कहा, "वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया, युवाओं को प्रेरित किया और शहीदों के लिए यह अंतिम मंत्र बना, जिसने उन्हें अगला जन्म भी इसी भारत भूमि पर लेने की प्रेरणा दी।" सदन में अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है। यह गीत मां भारती की वंदना है, भक्ति है और राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य का स्मरण है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वंदे मातरम को बंगाल चुनाव से जोड़कर देखना गलत है। यह गीत बंगाल ही नहीं, पूरे देश की धड़कन है और दुनियाभर में भारत की पहचान है। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा था कि यह केवल एक गीत या राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आजादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था।
