अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकी साजिश: 4 फीट मोटी दीवारों वाला अंडरग्राउंड बेसमेंट मदरसा मिला, मुजम्मिल ने की थी फंडिंग
फरीदाबाद/धौज। देश की राजधानी दिल्ली के पास फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के आस-पास आतंक की खतरनाक साजिश का पर्दाफाश हुआ है। जांच एजेंसियों को यूनिवर्सिटी से करीब आधा किलोमीटर दूर धौज स्थित खेतों के बीच एक संदिग्ध अंडरग्राउंड बेसमेंट मिला है, जिसे ऊपर से मदरसे का नाम दिया गया था। इस खुफिया ठिकाने की बनावट किसी बंकर से कम नहीं थी, जिससे सुरक्षा एजेंसियाँ हैरान हैं।
साजिश का खतरनाक ठिकाना
जाँच अधिकारियों के अनुसार, इस बेसमेंट मदरसे का उद्देश्य केवल अल-फलाह यूनिवर्सिटी ही नहीं, बल्कि आसपास के गाँवों को भी आतंक का केंद्र बनाना था।
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बनावट: यह बेसमेंट लगभग 200 वर्ग गज के प्लॉट पर बनाया गया था और जमीन से 11 फुट नीचे तक फैला था।
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4 फीट मोटी दीवारें: सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसकी चारों ओर की दीवारें 4 से 5 फीट तक मोटी बनाई गई थीं। सामान्य शैक्षणिक या आवासीय इमारतों की तुलना में यह मोटाई असामान्य है, जो साफ संकेत देती है कि बेसमेंट को साउंडप्रूफ बनाने और मजबूत आधार देने के लिए कंक्रीट मिक्सचर का इस्तेमाल किया गया था।
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फंडिंग लिंक: सूत्रों के मुताबिक, इस मदरसे के निर्माण के लिए धन मुहैया कराने वाला शख्स डॉ. मुज़म्मिल शकील बताया जा रहा है, जिसे हाल ही में उजागर हुए 'सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल' (व्हाइट-कॉलर जिहादी नेटवर्क) मामले में गिरफ्तार किया गया था। डॉ. मुज़म्मिल अल-फलाह यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर था।
NIA की जाँच और यूनिवर्सिटी कनेक्शन
यह पूरा मामला दिल्ली में हुए एक हालिया बम धमाके की जाँच के बाद सामने आया है, जिसमें अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर्स और फैकल्टी सदस्य (जैसे डॉ. उमर नबी, डॉ. शाहीन शाहिद, डॉ. मुज़म्मिल शकील) जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गज़वत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े पाए गए हैं।
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एजेंसियों को आशंका है कि इस अंडरग्राउंड मदरसे का इस्तेमाल कट्टरता का पाठ पढ़ाने और आतंकी साजिशें रचने के लिए गुप्त ठिकाने के रूप में किया जा रहा था।
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फरीदाबाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी की गतिविधियों की जाँच के लिए एक अलग विशेष जाँच दल (SIT) का गठन किया है।
इस गंभीर खुलासे के बाद देश की सुरक्षा और खुफिया तंत्रों में हड़कंप मच गया है, और अब इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है।
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