नीति आयोग की रिपोर्ट: 2047 तक विकसित भारत के लिए "डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन 2.0", फ्रंटियर टेक्नोलॉजी से बदलेगी खेती की सूरत

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नयी दिल्ली। अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो कृषि को डेटानवाचार और तकनीक पर आधारित बनाना होगा। यह वास्तव में "हर किसान तक तकनीक पहुँचाने" की रूपरेखा है ताकि खेती अधिक लाभकारीटिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार हो सके।


इस डेटा और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी से भारत के खेतीबाड़ी के काम में तकनीकी क्रांति आयेगी। "डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन 2.0" में किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना होगा। यह बात नीति आयोग की हाल ही जारी एक खास रिपोर्ट में कही गयी है।

'कृषि की पुनर्कल्पना: फ्रंटियर टेक्नोलॉजी आधारित परिवर्तन हेतु एक रोडमैपनामक यह रिपोर्ट भारत के कृषि क्षेत्र में बड़े तकनीकी बदलाव लाने की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह रोडमैप देश के 2047 तक "विकसित भारत"के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बनाया गया है। इस रिपोर्ट ने यह भी कहा है कि केवल तकनीक अपनाने से नहींबल्कि उसे "स्मार्ट तरीके से लागू और जोड़ने" से असली बदलाव आएगा।

कृषि भारत की अर्थव्यवस्थारोजगार और खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है इसलिए किसानों की आय बढ़ाना और पैदावार को बेहतर करना एक ऐसा जरूरी कदम हैजिस पर प्रगति जारी रखनी होगी। इस रास्ते में प्रमुख रुकावटें जलवायु परिवर्तनसीमित भूमिघटती उपजतकनीकी असमानताडेटा की कमी और वित्तीय बाधाओं की है। इसके अलावा मिट्टी और दूसरे प्रकार के डेटा की कमीकिसानों के भरोसे का अभावडिजिटल डिवाइड यानी तकनीकी को लेकर विभाजनप्रतिभा की कमीपूंजी की सीमाएं और नीति असंगति के कारकों को भारतीय कृषि के पिछड़ जाने के अहम बिंदु के रुप में देखा गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का कृषि क्षेत्र ऐसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है जो विकास और पैदावार में बाधा डालती हैं। देश के 86 प्रतिशत किसान छोटी जोत वाले हैं जिनके पास औसतन 0.74 हेक्टेयर भूमि है। खेती की प्रमुख चुनौतियों में कम पैदावारछोटी जोत और जलवायु परिवर्तन के असर शामिल हैं। कटाई के बाद होने वाला नुकसान सालाना 18 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हैऔर कई किसानों के पास वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुँच का अभाव है।

नीति आयोग की यह रिपोर्ट बताती है कि नई तकनीकें जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)ड्रोनसैटेलाइट इमेजिंगइंटरनेट ऑफ थिंग्सजैव-प्रौद्योगिकी और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (सटीकता से कृषि) खेती को अधिक उत्पादकटिकाऊ और लाभकारी बना सकती है। इन तकनीकों को खेती बाड़ी में इस्तेमाल को रिपोर्ट में 'डिजिटल कृषि मिशन 2.0' कहा गया है।

यह मिशन तीन स्तंभों पर आधारित एक योजना है। इसमें पहला स्तंभ विस्तार का यानी संपूर्ण डेटा प्रणाली डिजिटल सलाहऔर एग्रीटेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का है। दूसरा स्तंभ पुन:कल्पना करने यानी नई अनुसंधान नीतिउद्योग-अनुकूल शिक्षाऔर प्रतिभा विकास को लेकर दोबारा से विचार करने का है और तीसरा स्तंभ कृषि के कामकाज के एकीकरण का बताया गया है जिसके अंतर्गत सरकारी और निजी क्षेत्र का सहयोगनीति संवाद और तकनीकी नवाचार केंद्र या सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करना शामिल है।

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इसके साथ यह रिपोर्ट तीन प्रकार के किसानों की पहचान करती है। पहले प्रकार के किसान 'आकांक्षी किसानहोते हैं जो कुल किसानों की संख्या के 70 से 80 फीसदी तक हैं। ये समूह बहुत छोटी जोत रखता है और ये किसान बारिश पर ही निर्भर हैं। दूसरे प्रकार के किसानों को 'बदलावकारीकहा गया है। यह ऐसे मध्यम श्रेणी के किसान जो तकनीक अपनाने से परहेज तो नहीं है पर नहीं कर पाते। इनकी कुल संख्या 15 से 20 प्रतिशत है जबकि केवल एक-दो प्रतिशत ही ऐसे किसान हैं जिनके पास बड़ी जोत है और वे नवाचार-उन्मुख किसान हैं यानी वे नयी तकनीक तेजी से अपनाते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि "डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन 2.0" के तहत किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना। होगा। यही नहीं किसानों की आय दोगुनी करने से आगे जाकर कृषि को "ज्ञान और नवाचार आधारित उद्योग" के रुप में परिवर्तित करना होगा। अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना हैतो कृषि को डेटानवाचार और तकनीक पर आधारित बनाना होगा। यह वास्तव में "हर किसान तक तकनीक पहुँचाने" की रूपरेखा हैताकि खेती अधिक लाभकारीटिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार हो सके।

रिपोर्ट में "फ्रंटियर टेक्नोलॉजी" को भारत की नई कृषि क्रांति की नींव बताया गया है। फ्रंटियर टेक्नोलॉजी का आशय ऐसी अत्याधुनिक और नई पीढ़ी की तकनीकों से हैजो विज्ञान और डिजिटल दुनिया की सबसे नई खोजों पर आधारित हैं और जो पुराने तरीकों से कहीं ज़्यादा तेज़सटीक और टिकाऊ परिणाम देती हैं। इनमें शामिल हैं - कृत्रिम बुद्धिमत्तामशीन लर्निंगइंटरनेट ऑफ थिंग्सस्मार्ट सेंसरड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग। इसके अलावा फ्रंटियर टेक्नोलॉजी में एआई की मदद से भविष्य की स्थिति का अनुमान लगानाबायोटेक्नोलॉजी (जैसे उन्नत बीजजैव उर्वरक)डिजिटल ट्विन्स टेक्नोलॉजीएजेंटिक एआईसटीक कृषि तकनीक और उन्नत मशीनीकरण को भी इसमें रखा गया है।

नीति आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि काश्तकारी संबंधी फ्रंटियर टेक्नोलॉजी में जमीन के बारे में जुटाये गये आंकडे़ और एआई की मदद से कृषि को नया रूप दिया जायेगा। भारत की अगली कृषि क्रांति "बुद्धिमत्ता क्रांति" होगीजिसमें किसान केवल तकनीक का उपयोगकर्ता नहींबल्कि तकनीक का सह-निर्माता भी बनेगा। इन तकनीकों को अपनाने से किसान की उपज बढ़ेगीलागत घटेगीपर्यावरण को नुकसान कम से कम होगाऔर किसानों की आय में वास्तविक इजाफा होगा। इसमें यह ध्यान रखना होगा कि केवल तकनीक अपना भर लेने से नहींबल्कि उसे "स्मार्ट तरीके से लागू" से असली बदलाव आएगा।

रिपोर्ट के अनुसारइन तकनीकों से खेती के हर चरण में सुधार किया जा सकता है। जैव तकनीक से हमें उच्च उपज वालेरोग-रोधी और जलवायु-सहिष्णु बीज मिल सकते हैं। हम ऐसे जैव फोर्टिफाइड बीज इस्तेमाल कर सकते हैं जिनसे पोषण स्तर बढ़ता है। एआईइंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन से खेत की निगरानी हो सकती है और खेत की नमीमिट्टीमौसम और फसल की स्थिति का वास्तविक समय में पता चल सकता है। ड्रोन से छिड़काव और समुचित सिंचाई की जा सकती है।

नयी टेक्नोलॉजी से सटीक खेती करने में आसानी होती है। हर फसल के लिए उचित मात्रा में पानीखाद और कीटनाशक का प्रयोग करने से लागत घटती है और पैदावार बढ़ती है। साथ ही फसल कटाई और बिक्री में मदद मिलती है। डिजिटल प्लेटफॉर्म से बाज़ार के दामखरीदार और स्टोरेज की जानकारी एवं गुणवत्ता जाँचग्रेडिंग आदि से निर्यात में सहायता मिलती है। तकनीक की मदद से मौसम या रोग का पहले से अनुमान लगाकर नुकसान कम किया जा सकता है। एआई आधारित बीमा और कर्ज प्रणाली से किसानों को सुरक्षा मिल सकती है।

कृषि एक गहन तकनीकी पुनर्जागरण के कगार पर है। दशकों से इस क्षेत्र में प्रगति हेक्टेयर और पैदावार में मापी जाती रही हैलेकिन अगली क्रांति डेटाबुद्धिमत्ता और डिज़ाइन में मापी जाएगी। यह नया मानदंड है और सफलता इस बात से परिभाषित नहीं होगी कि हम बदलाव लाते हैं या नहींबल्कि इस बात से कि हम कितनी तेज़ी से बदलाव लाते हैं।

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