प्रधानमंत्री मोदी ने सूरत में बुलेट ट्रेन परियोजना का किया निरीक्षण, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल की प्रगति की समीक्षा
सूरत/नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा किया और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा की।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की टीम से भी बातचीत की और उनसे गति और समय-सारिणी के लक्ष्यों के पालन सहित परियोजना की प्रगति के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना में काम करने वाले कर्मियों से वार्ता भी की।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) की प्रगति की समीक्षा की और सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा किया। यह परियोजना देश के हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के युग में प्रवेश का प्रतीक है।
एमएएचएसआर लगभग 508 किलोमीटर लंबी परियोजना है, जिसमें 352 किलोमीटर गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली और 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में आते हैं। यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगा, जो भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक परिवर्तनकारी कदम होगा।
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों से निर्मित इस परियोजना में 465 किलोमीटर (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) पुलों पर बनना है, जिससे न्यूनतम भूमि व्यवधान और बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होती है। अब तक, 326 किलोमीटर के मार्ग पर पुलों का काम पूरा हो चुका है। औ 25 में से 17 नदी पुलों का निर्माण पहले ही हो चुका है।
इस परियोजना के पूरा होने पर, बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को लगभग दो घंटे तक कम कर देगी। इस परियोजना से पूरे कॉरिडोर पर व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
सूरत-बिलिमोरा खंड, जो लगभग 47 किलोमीटर लंबा है, निर्माण के अंतिम चरण में है, जिसमें सिविल कार्य और ट्रैक बिछाने का काम पूरी तरह से पूरा हो चुका है। सूरत स्टेशन का डिज़ाइन शहर के विश्व-प्रसिद्ध हीरा उद्योग से प्रेरित है, जो इसकी भव्यता और कार्यक्षमता दोनों को दर्शाता है। स्टेशन को यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें विशाल प्रतीक्षालय, शौचालय और खुदरा दुकानें शामिल हैं। यह स्टेशन सूरत मेट्रो, सिटी बसों और भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ निर्बाध मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने समीक्षा के साथ ही बुलेट ट्रेन से जुड़े कर्मचारियों वार्ता की। केरल की इंजीनियर ने गुजरात के नवसारी के नॉइज़ बैरियर फ़ैक्टरी में काम करने का अनुभव साझा किया, जहां रीबार केज वेल्डिंग के लिए रोबोटिक इकाइयों का उपयोग किया जा रहा है।
मोदी ने उनसे देश की पहली बुलेट ट्रेन के निर्माण के व्यक्तिगत अनुभव और इस ऐतिहासिक उपलब्धि को परिजनों के साथ साझा करने के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की पहली बुलेट ट्रेन के निर्माण में योगदान पर गर्व होता है। उन्होंने इसे परिजनों के साथ 'ड्रीम प्रोजेक्ट' और स्वयं के लिये 'गर्व का क्षण' बताया।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र सेवा की भावना पर ज़ोर देते हुये कहा कि जब राष्ट्र के लिए काम करने और कुछ नया योगदान देने की भावना जागृत होती है, तो यह पूरे देशवासियों के लिये अपार प्रेरणा का स्रोत बन जाती है। उन्होंने भारत की अंतरिक्ष यात्रा के साथ इसकी तुलना करते हुए याद किया कि देश का पहला उपग्रह प्रक्षेपित करने वाले वैज्ञानिकों को कैसा लगा होगा और आज सैकड़ों उपग्रह प्रक्षेपित किए जा रहे हैं।
मुख्य इंजीनियरिंग प्रबंधक के तौर पर कार्यरत बेंगलुरु की श्रुति ने मोदी को डिज़ाइन और इंजीनियरिंग नियंत्रण प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में, उनकी टीम लाभ और हानि का मूल्यांकन करती है, समाधानों की पहचान करती है, और दोषरहित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विकल्पों की खोज करती है।
मोदी ने कहा कि यदि यहां प्राप्त अनुभवों को एक ब्लू बुक की तरह दर्ज और संकलित किया जाए, तो देश बुलेट ट्रेनों के बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन की दिशा में निर्णायक रूप से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत को बार-बार प्रयोग करने से बचना चाहिए और इसके बजाय मौजूदा मॉडलों से प्राप्त सीख को दोहराना चाहिए। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोहराव तभी सार्थक होगा जब यह स्पष्ट समझ हो कि कोई कदम क्यों उठाया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह के रिकॉर्ड बनाए रखने से भविष्य के छात्रों को लाभ हो सकता है और राष्ट्र निर्माण में योगदान मिल सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, "हम अपना जीवन यहीं समर्पित करेंगे और देश के लिए कुछ मूल्यवान छोड़ जाएँगे।"
एक कर्मचारी ने एक कविता के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को भावपूर्ण शब्दों में व्यक्त किया, जिस पर प्रधानमंत्री ने उसके समर्पण की सराहना की और उसकी सराहना की। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव इस दौरे के दौरान उपस्थित थे।
