मुजफ्फरनगर। जानसठ तहसील में लेखपाल के पद पर सेवाएं दे चुके जय भगवान अग्रवाल ने सिस्टम के भीतर रहकर ही सिस्टम के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। उन्हें झूठे मुकदमों और आरोपों में फंसाकर उनके ही अधिकारियों ने 17 महीने 6 दिनों तक जेल में रखा।
पूर्व पटवारी जय भगवान अग्रवाल ने अपने साथ हुए अन्याय और सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए एक किताब लिखी है, जिसका नाम उन्होंने "अफसरशाही: एक अनसुना सच" रखा है।
पुस्तक में उन्होंने अफसरशाही, माफिया गठजोड़, किसानों के शोषण, फर्जी मुकदमों और भ्रष्टाचार के मामलों को ठोस दस्तावेजी सबूतों के साथ उजागर किया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह कुछ अधिकारी माफियाओं के साथ मिलकर सरकारी संपत्तियों का दुरुपयोग करते हैं, किसानों की जमीन और फसलें लूट ली जाती हैं, और ईमानदार कर्मचारियों को झूठे मामलों में फंसाया जाता है।
किताब में यह भी दावा किया गया है कि सच्चाई सामने लाने वालों को डराया-धमकाया जाता है और फर्जी मुकदमों के जरिए जेल भेजने की कोशिश की जाती है। सभी तथ्य, प्रमाण और साक्ष्य QR कोड के माध्यम से भी देखे जा सकते हैं, ताकि किसी को यह कहने का मौका न मिले कि आरोप बिना सबूत के हैं।
जय भगवान अग्रवाल ने कहा कि इस पुस्तक को उन्होंने सिर्फ अपनी पीड़ा बताने के लिए नहीं लिखा, बल्कि देश की आम जनता, किसानों और ईमानदार लोगों की आवाज बनने के लिए लिखा है। उन्होंने मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए, दोषी अधिकारियों और माफियाओं को सख्त सजा मिले और उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।
अग्रवाल ने यह भी संदेश दिया कि सच्चाई के साथ खड़े रहने वाले व्यक्ति को दबाया नहीं जा सकता और यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है, जो परेशान होकर हार मान लेते हैं।
