पाकिस्तान में 'जिया' दौर को वापस लाने की तैयारी, मुनीर की ताकत बढ़ाने के लिए संविधान 'संशोधन'
नई दिल्ली। पाकिस्तान में लाख जम्हूरियत की बात हो, लेकिन असली ताकत सेना और आईएसआई के हाथों में ही होती है। इसका एक बार फिर दुनिया को उदाहरण दिखा है। पाकिस्तान में नया संविधान संशोधन होने जा रहा है, जिससे मुनीर की ताकत ज्यादा बढ़ने वाली है। इस ऐलान के साथ ही साबित हो गया है कि पाकिस्तानी सेना को अपने आवाम से कोई मतलब नहीं। उसे सिर्फ ताकत चाहिए, कीमत कुछ भी हो।
पाकिस्तान सरकार अपने संविधान में 27वां संशोधन करने जा रही है। इसे लेकर पाकिस्तानी संसद में इस हफ्ते वोटिंग होगी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव किया जाएगा। इससे मुनीर ज्यादा पावरफुल हो जाएगा। पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर थल, जल और वायु सेना का चीफ बन जाएगा। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर हथियारों की चाबी मुनीर के हाथों में होगी। 27वें संशोधन में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष पद को समाप्त करके और उसकी जगह एक नए शक्तिशाली पद, रक्षा बलों के प्रमुख (सीडीएफ), को लाया जाएगा। सीडीएफ का पद सेनाध्यक्ष, यानी कि मुनीर, के पास होगा।
पाकिस्तान में संविधान संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। इसलिए जब यह विधेयक 96 सदस्यीय सीनेट में मतदान के लिए रखा जाएगा, तो इसे कम से कम 64 सीनेटरों के समर्थन की आवश्यकता होगी। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास सीनेट में 65 वोट हैं, जिनमें पीपीपी के 26, पीएमएल-एन के 20, बलूचिस्तान अवामी पार्टी के चार, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के तीन, अवामी नेशनल पार्टी के तीन, नेशनल पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के एक-एक और सात स्वतंत्र सांसदों के वोट शामिल हैं। पाकिस्तानी मीडिया डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, भले ही सत्तारूढ़ दल के पास 65 वोट हैं, लेकिन फिर भी इससे संशोधन को मंजूरी मिलने की गारंटी नहीं है।
इसमें सीनेट अध्यक्ष गिलानी का वोट भी शामिल है, और अध्यक्ष होने के नाते वह वोट नहीं डाल सकते। इसके अलावा, पीएमएल-एन के इरफान सिद्दीकी अस्पताल में भर्ती हैं, इसलिए उनके वोट को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। 336 सदस्यीय नेशनल असेंबली में, सत्तारूढ़ गठबंधन को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त है। इसके 233 सदस्य हैं, जबकि विपक्ष के पास 103 सदस्य हैं। गठबंधन के भीतर, पीएमएल-एन के पास 125 सीटें, पीपीपी के पास 74, एमक्यूएम-पी के पास 22, पीएमएल-क्यू के पास पांच, इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी के पास चार, और पीएमएल-जेड, बलूचिस्तान अवामी पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी के पास एक-एक सीटें हैं।
