देशभर में 'आई लव मोहम्मद' बनाम 'आई लव महादेव 'विवाद, बरेली में हिंसा, कानपुर से शुरू हुआ था विवाद

नई दिल्ली/लखनऊ। देश के कई हिस्सों में "आई लव मोहम्मद" लिखे पोस्टरों को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह विवाद अब एक 'पोस्टर वार' में बदल गया है, जिसमें मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन के जवाब में हिंदू संगठनों ने 'आई लव महादेव' कैंपेन शुरू कर दिया है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद कई मस्जिदों के बाहर प्रदर्शन हुए, वहीं उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थिति हिंसक हो गई, जिसके बाद उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की गई है।
कानपुर से शुरू हुआ था विवाद
जुमे की नमाज के बाद बढ़ा तनाव
कानपुर पुलिस की कार्रवाई के विरोध में मुस्लिम संगठनों ने देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया था। आज जुमे की नमाज के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद, कानपुर, लखनऊ और मुंबई जैसे शहरों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने "आई लव मोहम्मद" के पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
'आई लव महादेव' से जवाबी शंखनाद
मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शनों के जवाब में हिंदू संगठनों और संतों ने 'आई लव महादेव' कैंपेन शुरू कर दिया।
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वाराणसी में साधु-संतों ने सड़कों, पार्कों और घरों पर 'आई लव महादेव' के पोस्टर लगाकर विरोध जताया।
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अयोध्या में भी साधु-संतों ने 'आई लव सनातन' और 'आई लव जय श्री राम' के पोस्टर लहराए।
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संतों ने आरोप लगाया है कि विदेशी फंडिंग और सुनियोजित साजिश के तहत देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जिसका जवाब देना जरूरी है।
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यह जवाबी कैंपेन अब कानपुर, उज्जैन, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड तक फैल गया है।
बरेली में उपद्रव, पुलिस पर पथराव और गिरफ्तारी
उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थिति सबसे ज्यादा बिगड़ी।
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स्थानीय आईएमसी नेता मौलाना तौकीर रजा खान के आह्वान पर जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में लोग इस्लामिया कॉलेज ग्राउंड और अल हजरत दरगाह के पास इकट्ठा हो गए।
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पुलिस और प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई और बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की।
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असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव किया और हिंसा फैलाई, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
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बरेली रेंज के डीआईजी अजय साहनी ने इस घटना को एक 'सुनियोजित साजिश' का हिस्सा बताया है।
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पुलिस ने घटना के वीडियोग्राफ़ी और फोटोग्राफ़ी के आधार पर कई उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं। इस घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और पुलिस का रुख
इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। कई विपक्षी नेताओं ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, जबकि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एफआईआर केवल पोस्टर लगाने पर नहीं, बल्कि बिना अनुमति जुलूस निकालने, नई परंपरा शुरू करने और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वाले तत्वों पर दर्ज की गई है।
देशभर में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है, साथ ही उपद्रव करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
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