त्योहारी मांग ने बढ़ाई ऑटो सेक्टर की स्पीड: सितंबर में रिकॉर्ड बिक्री, जीएसटी सुधार बना गेमचेंजर

SIAM: त्योहारी सीजन में भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग नई ऊर्जा से भर गया है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2025 में वाहनों की थोक बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। जीएसटी दरों में हालिया कटौती का फायदा भले ही नौ दिनों तक ही मिला हो, लेकिन इसका असर बिक्री में साफ दिखा। सितंबर में यात्री वाहनों की बिक्री 4.4 फीसदी बढ़कर 3,72,458 इकाई तक पहुंची, जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री 7 फीसदी चढ़कर 21,60,889 इकाई पर रही।
तिपहिया वाहनों ने भी दिखाई तेजी

निर्यात मोर्चे पर भारत ने मारी बाजी
त्योहारी मांग और घरेलू बिक्री के साथ ही भारत के वाहन निर्यात ने भी शानदार प्रदर्शन किया। सितंबर 2025 में सभी श्रेणी के वाहनों का कुल निर्यात 19.8 फीसदी की छलांग लगाकर 5,58,768 इकाई तक पहुंच गया। सबसे ज्यादा बढ़त यात्री वाहनों के निर्यात में रही जो 30.3 फीसदी चढ़कर 87,762 यूनिट्स तक पहुंचा। दोपहिया वाहनों का निर्यात भी 15.3 फीसदी बढ़कर 4,29,562 इकाई तक जा पहुंचा। वहीं तिपहिया वाहनों का निर्यात 57.6 फीसदी उछलकर 25,971 से 40,928 इकाई तक पहुंच गया।
दूसरी तिमाही के आंकड़ों ने दी स्थिर विकास की तस्वीर
सियाम के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में कुल यात्री वाहन बिक्री 10,39,200 रही, जो पिछले साल की समान अवधि के 10,55,137 यूनिट्स की तुलना में 1.5 फीसदी कम है। हालांकि दोपहिया वाहनों की बिक्री उसी अवधि में 7 फीसदी बढ़कर 55,62,077 तक पहुंची। तिपहिया वाहन बिक्री ने 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और 2,29,239 यूनिट्स पर पहुंच गई। यह सब मिलकर ऑटो सेक्टर की स्थिर विकास गति को दर्शाता है।
सियाम अध्यक्ष ने बताई अगले चरण की रणनीति
सियाम अध्यक्ष शैलेष चंद्रा ने कहा कि सितंबर की बिक्री ने भारत के वाहन उद्योग को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। जीएसटी सुधारों के ऐतिहासिक फैसले से आने वाले महीनों में घरेलू ऑटो बाजार को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन के बाद भी वाहनों की मांग बनी रहेगी क्योंकि कर कटौती से नए ग्राहक समूह खरीदारी के लिए उत्साहित हो रहे हैं। चंद्रा के मुताबिक, “भारत का वाहन उद्योग 2025-26 की दूसरी छमाही में नई गति और आत्मविश्वास के साथ प्रवेश करेगा।” उन्होंने हालांकि वैश्विक बाजार में आर्थिक तनाव और भू-राजनीतिक जोखिमों को संभावित चुनौती बताया।
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