नोएडा में 13 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, प्रचार वाहन रवाना

नोएडा। जनपद गौतमबुद्व नगर में 13 सितंबर 2025 को मुख्यालय एवं तहसील स्तर पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जायेगा। राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए आज जनपद न्यायाधीश मलखान सिंह द्वारा हरी झंडी दिखाकर प्रचार वाहन को जिला न्यायालय से रवाना किया गया।
अपर जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गौतमबुद्ध नगर के सचिव चन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली व उप्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के प्राप्त निर्देशों के अनुपालन में आगामी 13 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए जनसामान्य के मध्य व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किये जाने के संबंध में बुधवार को जनपद न्यायाधीश मलखान सिंह द्वारा प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर ग्रामीण तहसील एवं मुख्यालय स्तर पर प्रचार वाहनों को रवाना किया गया है।
उन्होंने बताया कि यह प्रचार वाहन गलगोटिया विश्वविद्यालय एवं एनपीसीएल के सहयोग से उपलब्ध कराए गए है। जिनके माध्यम से जनसामान्य के मध्य राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक जन सामान्य की सहभागिता एवं मुकदमों के अधिक से अधिक निस्तारण के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इस दौरान पम्पलेट एवं प्रचार सामग्री का वितरण प्रचार वाहनों के माध्यम से जनसामान्य के बीच किया जायेगा।
प्रचार वाहनों को जनपद न्यायाधीश द्वारा रवाना करते समय अपर जिला जज सोमप्रभा मिश्रा, प्रतीक्षा नागर, विकास नागर, संजय सिंह अपर जिला जज, अभिषेक पाण्डेय राजेश मिश्रा, सौरभ द्विवेदी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संजय कुमार त्रिपाठी, विधिक स्वंय सेवक राजवीर सिंह, साकिर हुसैन, मास्टर बाल चन्द नागर, राहुल गौतम, अमित शर्मा कपिल शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहे।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक मामलें, मोटरयान दुर्घटना अधिनियम के मामले, बिजली व पानी से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट के वाद, भू-राजस्व वाद, सेवा संबंधित मामले एवं प्री-लिटीगेशन मामलों के साथ-साथ सुलह समझौते के माध्यम से निस्तारण योग्य अन्य विवाद, जिनमें पक्षकार पारस्परिक सद्भावना के अधीन संधि के लिए इच्छुक हो वह मामले राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारित किये जायेंगे। वहीं लोक अदालत द्वारा जारी किए गए फैसले को दीवानी अदालत के डिक्री का दर्जा प्राप्त होता है। यह फैसले बाध्यकारी होते हैं और इनके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।